अशोक कुमार कौशिक 

हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी की नई सरकार 17 अक्टूबर को शपथ लेगी। पहले ऐसी खबरें थीं कि सैनी सरकार 15 अक्टूबर को शपथ लेगी, लेकिन फिर 17 अक्टूबर का दिन तय हो गया। तारीख में परिवर्तन क्यों किया गया, इसकी वजह अब साफ हो गई है। असल में 17 अक्टूबर को वाल्मीकि जयंती है। इस दिन शपथ लेकर भाजपा दलितों को खास संदेश देना चाहती है। 

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बीजेपी ने 17 अक्टूबर का दिन शपथ ग्रहण के लिए ऐसे ही नहीं चुना है। बल्कि, इसके पीछे एक बड़ी रणनीति बताई जा रही है। जिसके जरिए बीजेपी प्रदेश की जनता को एक बड़ा संदेश देगी।

दरअसल, जिस दिन प्रदेश में नई सरकार का गठन होना है। उस दिन वाल्मीकि जयंती है। वाल्मीकि समाज के लोग वाल्मीकि जयंती को परगट दिवस के रूप में भी मनाते हैं। बता दें कि हरियाणा सरकार ने पहले ही रामचरितमानस के रचयिता के जन्म की तारीख पर प्रदेश में सार्वजनिक अवकाश की घोषणा कर रखी है। इसी मौके का फायदा उठाते हुए बीजेपी ने हरियाणा सरकार का शपथ ग्रहण कार्यक्रम रखा है। राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा है कि इस समारोह के जरिए बीजेपी दलित समुदाय को पार्टी से कनेक्ट करना चाहती है और दलित समुदाय के लोगों को बताना चाहती है कि पार्टी हमेशा दलितों के साथ है। गौरतलब है कि शपथग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद रहेंगे।

इस साल हुए लोकसभा चुनाव में हरियाणा में भाजपा का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था। वह यहां पर 10 में से केवल पांच सीटें ही जीत पाई थी। लेकिन हालिया विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए चीजें पूरी तरह से बदल गई हैं। विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर भाजपा हरियाणा में रिकॉर्ड तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है। भाजपा की इस जीत के पीछे जाटलैंड में उसकी मजबूती और दलित-ओबीसी वोटों पर पकड़ का अहम योगदान रहा है। लोकसभा चुनाव में यही दलित-ओबीसी वोट कांग्रेस के खाते में चले गए थे। इसके अलावा सरकार की लोककल्याणकारी योजनाओं की भूमिका भी काफी अहम रही है। इसमें 500 रुपए में सिलिंडर, मध्य प्रदेश के लाडली बहन योजना की तर्ज पर लाडो लक्ष्मी योजना लाना खास रहा। इन योजनाओं ने दलितों और महिला वोटरों को पार्टी की तरफ मोड़ा। 

एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने बताया कि भाजपा ही वह पार्टी है, जिसने गरीबों, पिछड़ों और दलितों को सम्मान दिया है। यह उन दलों की तरह नहीं है, जो केवल इन लोगों तक पहुंचने का दिखावा करती हैं। साल 2014 में सत्ता में आने के बाद से ही भाजपा ने इन सभी के लिए कई जरूरी कदम उठाए हैं।इस चुनाव से पहले भाजपा ने हरियाणा में अपना सीएम बदला था। उसने मनोहर लाल खट्टर को हटाकर ओबीसी नायब सिंह सैनी को सीएम बनाया। फिर चुनाव में भी उन्हें ही सीएम फेस बनाया। पार्टी को इसका फायदा भी मिला है। हालिया विधानसभा चुनाव में भाजपा ने शिड्यूल कास्ट के लिए रिजर्व 17 में से 8 सीटें जीती हैं। यह इस आबादी का कुल 21 फीसदी है। वहीं, करीब 30 फीसदी ओबीसी वोटर भी भाजपा को मिले हैं। इस चुनाव में भाजपा का चेहरा रहे मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी खुद भी ओबीसी समुदाय से हैं। 

यह पहली बार नहीं है भाजपा ने महर्षि वाल्मीकि को दिमाग में रखकर कोई कदम उठाया है। जनवरी में उसने अध्योध्या इंटरनेशनल एयरपोर्ट का नाम महर्षि वाल्मीकि के नाम पर कर दिया था। भाजपा के मुताबिक यह सत्य, नैतिकता और आध्यात्म का संदेश देने वाला होगा। इसके अलावा हरियाणा में साल 2014 में सत्ता के आने के साथ ही भाजपा ने संतों को लेकर विभिन्न कार्यक्रम शुरू कर दिए थे। अक्टूबर 2015 में खट्टर सरकार ने हरियाणा की यूनिवर्सिटी का नाम महर्षि वाल्मीकि के नाम पर कर दिया। 2016 के बाद से 17 अक्टूबर के दिन प्रदेश में वाल्मिकी जयंती मनाई जा रही है। जून 2021 में खट्टर के नेतृत्व वाली कैबिनेट ने कैथल यूनिवर्सिटी को महर्षि वाल्मीकि संस्कृत यूनिवर्सिटी कर दिया था। 

इसी तरह जनवरी में अयोध्या में राम मंदिर उद्धाटन के मौके पर पानीपत में गोहना इंटरसेक्शन को श्रीराम चौक और रेलवे रोड इंटरसेक्शन को वाल्मीकि चौक नाम दिया गया था। अपने कार्यकाल में खट्टर ने भाजपा के लिए महर्षि वाल्मीकि के महत्व पर प्रकाश डाला था। उन्होंने कहा था कि हमारी सरकार का मकसद अंत्योदय और सामाजिक समरसता है। भाजपा विकास कार्यों के जरिए महर्षि वाल्मीकि के राम राज्य की कल्पना को साकार कर रही है। उन्होंने कहा था कि देश को शक्तिशाली बनाने में महर्षि वाल्मीकि की शिक्षाओं का योगदान अहम है। वाल्मिकी जयंती के अलावा भाजपा सरकार ने हरियाणा में अन्य संतों को भी महत्व दिया है। 

प्रदेश में बीजेपी दलित और ओबीसी वोटरों को जोड़ने में कामयाब रही और आखिरी समय में पासा पलट दिया। कहा जा रहा है कि हरियाणा में भाजपा ने गैर जाटलैंड के साथ-साथ दलित और ओबीसी समुदाय में पकड़ बना कर रखी है। 

जून 2022 में खट्टर ने आधिकारिक मुख्यमंत्री आवास को संत कबीर कुटीर नाम दिया था। इसी साल खट्टर सरकार ने संत-महापुरुष विचार सम्मान और प्रसार योजना शुरू की। इसमें प्रदेश सरकार के कार्यक्रमों में धार्मिक नामों को पहचान दी गई।

ऐसे में शपथ ग्रहण समारोह के जरिए बीजेपी एक बार फिर दलित समाज को संदेश देने की कवायद में है, जिसके लिए महर्षि वाल्मीकि जयंती का दिन चुना है। इस तरह बीजेपी की कोशिश दलित समाज को अपने साथ मजबूती से जोड़े रखने की रणनीति है।

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