खट्टर सरकार की दीन दयाल जन आवास योजना (डीडीजेएवाई) में बड़े घोटाले का आरटीआई से पर्दाफाश

-दीन दयाल जन आवास योजना की 505 आवासीय कालोनियों में दलितों,गरीबों के लिये एक भी प्लॉट आरक्षित नहीं किया।

चंडीगढ़ – आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने तत्कालीन खट्टर सरकार द्वारा वर्ष 2016 में जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष दीन दयाल उपाध्याय के नाम से शुरु की गई दीन दयाल जन आवास योजना (डीडीजेएवाई) को घोटाला बताते हुए इसकी सीबीआई जांच की मांग की है । आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने आरटीआई से प्राप्त दस्तावेज़ों से खुलासा करते हुए बताया कि वर्ष 2016 से लेकर वर्ष 2024 तक आठ वर्षो में भाजपा सरकार ने प्रदेश में इस योजना में कुल 505 आवासीय कालोनियों के लाइसेंस जारी किये । इससे प्रदेश वासियों को उम्मीद थी कि इन कालोनियों में समाज के कमज़ोर तबके को सस्ते दामों में प्लॉट मिलेंगे । लेकिन इन 505 आवासीय कालोनियों में एक भी प्लॉट दलितों, कमजोर तबके,मजदूरों व पूर्व सैनिकों के लिये आरक्षित नहीं किया गया । तत्कालीन खट्टर सरकार ने निजी कालोनाइजरों के हित में पॉलिसी ऐसी बनाई कि इन कालोनियों में प्लॉट लेने वालों को कॉलोनाइजरों के रहमों करम पर लुटने के लिये छोड़ दिया गया ।

ऐसे किया घोटाला:

दीन दयाल जन आवास योजना के तहत कालोनाइजरों को लाइसेंस जारी करने की सरकारी पॉलिसी में न तो प्लाट लेने के लिये फॉर्म भरने, ड्रा द्वारा प्लॉट आबंटन करने की कोई पारदर्शी व्यवस्था की गई ।प्लाटों के सरकारी दाम भी तय नहीं किये गये ।दलितों व गरीबों (ईडब्ल्यूएस) के लिये प्लॉट रिज़र्व करने का कोई प्रावधान ही नहींं किया गया । नतीजन, प्लॉट लेने के इच्छुक लोग कॉलोनाइजर से मुंह मांगे रेट पर प्लॉट लेने को मजबूर हैं । कॉलोनाइजर की मर्ज़ी है वो किसी को प्लॉट बेचे अथवा न बेचे । आम व्यक्ति या आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग तो इन कालोनियों में आवासीय प्लॉट लेने की सोच भी नहीं सकता ।

कपूर ने बताया कि उन्हें इसी आरटीआई के जवाब में टाउन एन्ड कंट्री प्लानिंग विभाग की राज्य जन सूचना अधिकारी एवं डीटीपी (मुख्यालय) कु. सुनैना ने बेहद दिलचस्प सूचना दी कि इस योजना का नाम जिस दीन दयाल के नाम पर किया गया, वे कौन थे उनका क्या योगदान था, उनके बारे कोई सूचना रिकॉर्ड में मौजूद नहीं है ।

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