स्वर्ण जयंती वर्ष के दौरान कम से कम 50 प्रदूषण हॉटस्पॉट काम करेगा मुख्य हितधारक विभागों का कार्य समूह: डॉ टी.वी.एस.एन. प्रसाद

चंडीगढ़ 19 सितंबर-हरियाणा के मुख्य सचिव डॉ. टी.वी.एस.एन. प्रसाद ने हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एच.एस.पी.सी.बी.) के क्षेत्रीय अधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्रों के लिए मासिक प्रदूषण और पर्यावरण रिपोर्ट संकलित करने के निर्देश दिए हैं। ये रिपोर्ट राज्य सरकार को प्रस्तुत की जाएगी ताकि प्रदूषण के खिलाफ प्रभावी उपाय किए जा सकें।

बोर्ड की स्वर्ण जयंती के अवसर पर आज यहां हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारियों की बैठक की अध्यक्षता करते हुए डॉ. टी.वी.एस.एन. प्रसाद ने स्वास्थ्य, परिवहन, उद्योग, नगर और ग्राम आयोजना, शहरी स्थानीय निकाय, विकास एवं पंचायत तथा जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी सहित प्रमुख हितधारक विभागों को मिलाकर एक कार्य समूह के गठन के भी निर्देश दिए। यह कार्य समूह स्वर्ण जयंती वर्ष के दौरान कम से कम 50 प्रदूषण हॉटस्पॉट पर काम करेगा। उन्होंने प्रदूषण नियंत्रण प्रयासों को बढ़ाने और हरियाणा के लोगों के लिए स्वच्छ पर्यावरण सुनिश्चित करने के लिए अंतर-विभागीय समन्वय की आवश्यकता पर भी बल दिया।

हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इसकी 50वीं वर्षगांठ पर बधाई देते हुए मुख्य सचिव डॉ. टी.वी.एस.एन. प्रसाद ने बढ़ती आर्थिक गतिविधियों के मद्देनजर पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने आर्थिक विकास को बढ़ावा देते हुए स्थायी भविष्य सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय दृष्टिकोण की आवश्यकता जताई।

हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष श्री पी. राघवेंद्र राव ने वर्ष 1974 में बोर्ड की स्थापना के बाद से इसके कार्य-कलापों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हालांकि बोर्ड की स्थापना मूल रूप से जल प्रदूषण से निपटने के लिए की गई थी, लेकिन पर्यावरण सम्बन्धी विभिन्न चुनौतियों से निपटने के लिए पिछले कुछ वर्षों में इसकी गतिविधियों में काफी विस्तार हुआ है।

स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री सुधीर राजपाल ने सिस्टम की प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए बायोमेडिकल अपशिष्ट संग्रह और निपटान की जिम्मेदारी कई एजेंसियों को सौंपने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने सेवा दक्षता में सुधार के लिए, इन एजेंसियों कीे परिचालन कवरेज को मौजूदा 75 किलोमीटर से कम करने का भी प्रस्ताव रखा।

बैठक में बताया गया कि हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने आगामी सर्दियों के मौसम में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं। बोर्ड ने प्रदेश भर में, विशेष रूप से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एन.सी.आर.) में वायु गुणवत्ता में सुधार के उद्देश्य से कई पहल की हैं। एच.एस.पी.सी.बी. ने एन.सी.आर. जिलों में रेड कैटेगरी के सभी वायु उत्सर्जक उद्योगों को ऑनलाइन सतत उत्सर्जन निगरानी उपकरण (ओ.सी.ई.एम.डी.) स्थापित करने का आदेश दिया है। ऐसी लगभग 400 इकाइयां स्थापित की गई हैं। वायु गुणवत्ता निगरानी को मजबूत करने के लिए, हरियाणा ने प्रदेशभर में 29 सतत परिवेशी वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्र (सी.ए.एक्यू.एम.एस.) स्थापित किए हैं, जिनमें से 21 एन.सी.आर. जिलों में स्थित हैं। इसके अतिरिक्त, व्यापक वायु गुणवत्ता मूल्यांकन सुनिश्चित करने के लिए 46 मैनुअल स्टेशन चालू हैं।

ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जी.आर.ए.पी.) अवधि के दौरान चौबीसों घंटे वायु प्रदूषण से संबंधित शिकायतों से निपटने के लिए बल्लभगढ़ क्षेत्रीय कार्यालय में एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है। एच.एस.पी.सी.बी. नियमित निरीक्षणों के माध्यम से उत्सर्जन मानदंडों की बारीकी से निगरानी कर रहा है और गैर-अनुमोदित ईंधन के उपयोग के खिलाफ पूरी सतर्कता रख रहा है।

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के निर्देशों के जवाब में, एच.एस.पी.सी.बी. ने लोक निर्माण (भवन एवं सड़कें) विभाग और हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड के साथ ‘धूल नियंत्रण और प्रबंधन प्रकोष्ठ’ की स्थापना की है। विभिन्न एजेंसियों में ऐसे उन्नीस प्रकोष्ठ बनाए गए हैं और धूल प्रदूषण नियंत्रण के स्व-मूल्यांकन के लिए वेब पोर्टल पर 1,074 निर्माण स्थलों को पंजीकृत किया गया है।

एच.एस.पी.सी.बी. फरीदाबाद और एन.सी.आर. के भीतर अन्य गैर-एन.सी.ए.पी. शहरों के लिए सिटी एक्शन प्लान के कार्यान्वयन की तत्परता से निगरानी कर रहा है। बोर्ड ने पर्यावरण विनियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए एन.सी.आर. के लिए अनुमोदित ईंधन की सूची को भी अपडेट किया है। गुरुग्राम, पानीपत और सोनीपत के लिए स्रोत विभाजन और उत्सर्जन सूची अध्ययन पूरा हो चुका है तथा इन अध्ययनों का हरियाणा के अन्य प्रमुख शहरों तक विस्तार करने की भी योजना है।

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