हरियाणा बिजली सुधारों में अग्रणी राज्यों में शामिल: नन्द लाल शर्मा

उड़ीसा के बाद हरियाणा देश का दूसरा प्रांत जहां विद्युत विनियामक आयोग का गठन हुआ

एचईआरसी के 26वें स्थापना दिवस पर अध्यक्ष नन्द लाल शर्मा का संबोधन

एचईआरसी के 26 वें स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते आयोग के अध्यक्ष श्री नन्द लाल शर्मा

चंडीगढ़ (16 अगस्त, 2024)। हरियाणा विद्युत विनियामक आयोग (एचईआरसी) के अध्यक्ष श्री नन्द लाल शर्मा ने कहा कि उड़ीसा के बाद हरियाणा देश का दूसरा ऐसा प्रांत है जिसने बिजली सुधारों के क्षेत्र में अग्रणी कार्य किया है। 16 अगस्त 1998 को हरियाणा विद्युत विनियामक आयोग का गठन किया गया था, जो एक स्वतंत्र नियामक संस्था है, और यह हरियाणा के पूरे पावर सेक्टर को विनियमित करता है।

श्री शर्मा ने शुक्रवार को पंचकूला स्थित एचईआरसी के कार्यालय में आयोजित स्थापना दिवस कार्यक्रम के दौरान आयोग के अधिकारियों और कर्मचारियों को संबोधित किया। उन्होंने बताया कि पहले राज्यों में बिजली बोर्ड होते थे, लेकिन पुनर्गठन के बाद अलग-अलग कॉरपोरेशन बनाए गए, जैसे कि वितरण, उत्पादन और प्रसारण के लिए अलग-अलग कंपनियां स्थापित की गईं। विद्युत समवर्ती सूची के अंतर्गत, केंद्र और राज्य दोनों को उपभोक्ताओं के हितों के लिए नियम बनाने का अधिकार है। इससे यह सुनिश्चित हुआ कि जिस सेक्टर में निवेश की आवश्यकता हो, वहां किया जाए ताकि बिजली उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएं मिल सकें।

आयोग के अध्यक्ष ने बताया कि बिजली की आवश्यकता का पूर्व आंकलन सही तरीके से करना चाहिए, ताकि उपभोक्ताओं की जरूरतों को समय पर पूरा किया जा सके। उन्होंने कहा, “आयोग के लिए बिजली उपभोक्ताओं के हित सर्वोपरि हैं।” एचईआरसी वित्तीय रूप से भी आत्मनिर्भर है और अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सरकार के भरोसे नहीं रहती; इसके पास अपना स्वयं का फंड है।

श्री शर्मा ने बताया कि आयोग अपने निर्धारित समय में वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) की पिटीशन का निपटारा करता है और उपभोक्ताओं के सुझावों को सम्मिलित करता है। ग्रामीण विद्युतीकरण निगम (आरईसी) द्वारा हाल ही में जारी बुकलेट में उल्लेख है कि एचईआरसी ने हरियाणा पावर जेनरेशन कॉरपोरेशन (एचपीजीसीएल) का टैरिफ आर्डर 69 दिनों में, हरियाणा विद्युत प्रसारण निगम लिमिटेड (एचवीपीएन) का 84 दिनों में, और उत्तर एवं दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम (यूएचबीवीएन और डीएचबीवीएन) का टैरिफ आर्डर 98 दिनों में जारी किया। विद्युत अधिनियम, 2003 के अनुसार, एआरआर पिटीशन दायर करने के बाद 120 दिनों में आदेश जारी करना अनिवार्य है।

उन्होंने विनियामक आयोगों की भूमिका पर भी प्रकाश डाला और कहा कि 2030 तक देश में 500 गीगावाट ऊर्जा नॉन-फॉसिल फ्यूल से उत्पन्न होगी, यानी ग्रीन एनर्जी से। इस लक्ष्य को हासिल करने में विनियामक आयोगों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। उन्होंने आयोग के अधिकारियों और कर्मचारियों को सहयोग की भावना से आगे बढ़ने का संदेश दिया और स्थापना दिवस की शुभकामनाएं दीं।

इस अवसर पर आयोग के सचिव श्री नरेन्द्र कुमार ने कर्मचारियों को आपसी तालमेल और नई-नई चीजों को सीखने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि जिम्मेदारियों को बेहतरीन तरीके से निभाना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन आयोग के उप निदेशक (मीडिया) प्रदीप मलिक ने किया। उन्होंने कहा कि एचईआरसी की 26 वर्षों की यात्रा अद्वितीय उपलब्धियों से भरी रही है, जो अधिकारियों और कर्मचारियों के समर्पण का परिणाम है। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि वे इस गौरवमयी यात्रा को और ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए अपने प्रयास जारी रखें।

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