राव इंद्रजीत सिंह ने 2014 और 2019 के विधानसभा व 2024 के लोकसभा चुनाव में दक्षिणी हरियाणा के समर्थन को याद दिलाया

राव राजा के बगावती तेवरों से भाजपा में हलचल, शाह ने मुख्यमंत्री को हटाकर इंद्रजीत को पास बठाया 

नाराज भाजपा नेताओं की प्रशंसा करके मनाने का प्रयास

दूसरी तरफ जाते हुए लड़खड़ाए सीएम सैनी

अशोक कुमार कौशिक 

हरियाणा के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को उम्मीद के मुताबिक नतीजे नहीं मिले थे। 10 लोकसभा सीटों से घटकर 5 सीटों पर सिमट गई। विधानसभा चुनाव से पहले पहले बीजेपी को हार से उभारने का जिम्मा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने संभाल लिया है और ताबड़तोड़ दौरे शुरू कर दिए। अमित शाह मंगलवार को हरियाणा के महेंद्रगढ़ में ओबीसी सम्मेलन में शिरकत करने पहुंचे । तीन हफ्ते में उनका यह दूसरा दौरा है। 29 जून को पंचकूला पहुंचे थे और अब महेंद्रगढ़ से दक्षिणी हरियाणा के अहीरवाल क्षेत्र को साधने की कवायद करते नजर आएं। उधर अहीरवाल के क्षत्रप राव इंद्रजीत सिंह के बगावती तेवरों से भाजपा में हलचल है, ऐसा अमित शाह के आगमन पर देखने को मिला।

लोकसभा चुनाव में बिगड़े सियासी समीकरण को बीजेपी दुरुस्त करने में जुट गई है और एक मजबूत सोशल इंजीनियरिंग के सहारे सत्ता की हैट्रिक लगाने की फिराक में है। बीजेपी ने मनोहर लाल खट्टर की जगह नायब सैनी को सीएम की कुर्सी सौंपी थी और प्रदेश अध्यक्ष की बागडोर ब्राह्मण समुदाय से आने वाले मोहन लाल बडौली के हाथों में दी। इस तरह बीजेपी ने मजबूती से कास्ट केमिस्ट्री के साथ विधानसभा चुनाव में उतरने की तैयारी की है। इसी कड़ी में अमित शाह 15 दिन पहले पंचकूला में कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित कर उन्हें सियासी बूस्टर देने के बाद अब महेंद्रगढ़ में बीसी सम्मेलन में शिरकत करके अन्य पिछड़ा वर्ग को मजबूती से जोड़े रखने का दांव है।

हरियाणा के महेंद्रगढ़ में केंद्रीय विश्वविद्यालय परिसर में बीसी सम्मेलन में अमित शाह मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए हैं। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मोहनलाल बड़ौली सहित केंद्रीय मंत्री, सांसद, विधायक और प्रदेशभर से पार्टी पदाधिकारी शामिल हुए हैं। महेंद्रगढ़ से अमित शाह दक्षिणी हरियाणा के ओबीसी सम्मान समारोह कार्यक्रम में अहीरवाल को साधने का प्रयास रहा। खासकर महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, चरखी दादरी, भिवानी, झज्जर, गुरुग्राम, मेवात सहित अन्य जिलों की विधानसभा सीटों पर ओबीसी के बड़े वोट बैंक को साधने पर नजर है।

अहीरवाल बेल्ट पर पकड़ मजबूत बनाने की कवायद

दक्षिण हरियाणा का इलाका पिछले दस सालों में बीजेपी का मजबूत गढ़ के तौर पर बन चुका। जिसे अहीरवाल इलाका भी कहा जाता है। हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में भी कांग्रेस ने बीजेपी से 10 में से पांच सीटें छीन लीं, लेकिन दक्षिण हरियाणा की भिवानी-महेंद्रगढ़ और गुरुग्राम सीट पर बीजेपी ने कब्जा बरकरार रखा था । इसके अलावा करनाल और कुरुक्षेत्र सीटें भी बीजेपी जीतने में सफल रही है । यही वजह है कि अब विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी दक्षिणी हरियाणा पर अपना खास फोकस केंद्रित कर दिया है।

लोकसभा चुनाव से पहले स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 23 मई को गांव पाली में ही चुनावी रैली को संबोधित करने पहुंचे थे और अब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पाली में ओबीसी सम्मेलन के जरिए दक्षिण हरियाणा के अहीरवाल बेल्ट पर अपनी पकड़ मजबूत बनाने की कवायद है। दक्षिणी हरियाणा के मजबूत चेहरा और अहीरवाल के नेता केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह पार्टी में भितरघात का जिक्र कर चुके हैं, साथ ही उन्होंने हाल ही में लोकसभा चुनाव में जीत के बाद अपने धन्यवादी दौरों पर प्रदेश सरकार को भी चेताया था। उन्होंने अमित शाह के सामने भी 2014 और 2019 में अहीरवाल द्वारा बीजेपी को दिए समर्थन की चर्चा की।

राव राजा रामबिलास शर्मा सहित नाराज नेताओं को मनाने की कोशिश, मंच से तारीफ 

यहां बता दें कि भाजपा को लगातार दो बार सत्ता में लाने में सबसे बड़ी भूमिका दक्षिण हरियाणा की ही रही है। इसकी याद राव इंद्रजीत सिंह ने अपने संबोधन में दिलाई। उन्होंने रामबिलास शर्मा की अपेक्षा को लेकर तंज कसा। उन्होंने 2014 से पूर्व की स्थिति और चुनाव में श्री शर्मा का भाजपा को बहुमत में लाने के परिश्रम की चर्चा कर अमित शाह को सकते में डाल दिया। जब राव राजा ने उक्त बात कही तो जनता ने करतल ध्वनि से उनकी बात का समर्थन किया। उधर अमित शाह अपने सम्बोधन में इस बात को भी भूले नहीं। अहीरवाल सैनिक बाहुल्य इलाका है। इसलिए उन्होंने बार-बार इस धरती को नमन किया और सैनिकों की माताओं को सम्मानित बताते हुए इस बड़े वोट बैंक को साधने की भी कोशिश की। अहीरवाल में केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के नेतृत्व का जिक्र करते हुए उन्होंने शहीद राव तुलाराम को भी याद किया। राव इंद्रजीत सिंह को महेंद्रगढ़ से गुड़गांव तक अहीरवाल पट्टी में जनता का बड़ा लीडर बताया।

इतना ही नहीं, भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और हरियाणा के शिक्षा मंत्री रहे प्रो. रामबिलास शर्मा को ‘धरतीपुत्र’ बताकर उन्होंने पार्टी के इस वरिष्ठ नेता का भी राजनीतक कद बढ़ाने का काम किया। केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर और विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद का भी उन्होंने विशेष रूप से जिक्र किया। भिवानी-महेंद्रगढ़ से लगातार तीसरी बार सांसद बने धर्मबीर सिंह को ‘लोकप्रिय’ बताते हुए अमित शाह ने उनके सम्मान में विशेष रूप से लोगों से तालियां बजवाईं। 

अमित शाह मंच पर आसीन थे उनकी एक और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी तो दूसरी ओर मोहनलाल बडोली बैठे थे। सीएम के बाद धर्मेंद्र प्रधान उसके बाद राव इंद्रजीत सिंह चौथे नंबर पर बैठे थे। कुछ समय बाद अमित शाह खड़े हुए और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को दूसरी तरफ आने का इशारा किया। राव इंद्रजीत सिंह को भी इशारा कर अपने नजदीक बुलाया। जब सीएम सैनी उठकर दूसरी तरफ जा रहे थे तभी राव इंद्रजीत सिंह ने भी उनका हाथ पड़कर दूसरी तरफ भेज दिया। दूसरी तरफ जाते समय सीएम सैनी थोड़ा लड़खड़ाए भी। इसके बाद वह दुसरी तरफ जाकर खड़े हो गये। उनके चेहरे पर हंसी थी, पर राव राजा का चेहरा उतरा हुआ था।

राव इंद्रजीत सिंह की नाराजगी के कुछ कारण है। जिनमें उनसे जूनियर मनोहर लाल खट्टर को कैबिनेट मंत्री बनाना, उनके छह बार जीतने के बावजूद उन्हें राज्य मंत्री के दर्जे तक सीमित रखना, उनकी बेटी आरती राव को टिकट न देना, विरोधियों को अधिक महत्व देना तथा नायक सिंह सैनी के मंत्रिमंडल में उनके समर्थक ओम प्रकाश यादव को मंत्री न बनाये जाने से वह खफा है। उन्हें सबसे ज्यादा यह मलाल है कि स्वयं अमित शाह ने पंचकुला सम्मेलन में चुनाव नायब सैनी के नेतृत्व में लड़ने का ऐलान कर दिया। राव राजा बार-बार अपने को सीएम कुर्सी का दावेदार जता रहे हैं।

प्रदेशस्तरीय पिछड़ा वर्ग सम्मेलन में उन्होंने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से लेकर प्रदेश भाजपा के अधिकांश दिग्गज नेताओं को वेट दिया। उन्होंने अहीरवाल के नेता राव इंद्रजीत सिंह, पूर्व शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा और भिवानी-महेंद्रगढ़ सांसद धर्मबीर सिंह से लेकर पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु और पार्टी के राष्ट्रीय सचिव ओमप्रकाश धनखड़ का राजनीतिक कद बढ़ाने का काम किया।

राजनीतिक रूप से ‘बैकफुट’ पर दिख रहे पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु और पूर्व कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ का नाम लेकर अमित शाह ने यह संदेश देने की कोशिश की कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के मान-सम्मान में कोई कमी नहीं रहने दी जाएगी। संयोग से जितने भी नेताओं के नाम अमित शाह की जुबान पर आए, उनमें से अधिकांश मुख्यमंत्री पद के दावेदार भी रहे हैं। अब चूंकि विधानसभा के चुनाव नजदीक हैं। ऐसे में अमित शाह पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं को मजबूत करने की कोशिश करते नज़र आए ताकि चुनावों में इसका फायदा मिल सके।

दक्षिणी हरियाणा में 24 विधानसभा सीटें

हरियाणा की सत्ता का रास्ता दक्षिणी हरियाणा से होकर गुजरता है। दक्षिणी हरियाणा में 24 विधानसभा सीटें आती हैं। अहीरवाल के महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, चरखी दादरी, भिवानी, झज्जर, गुरुग्राम, मेवात सहित अन्य जिलों की 24 विधानसभा सीटों पर ओबीसी के बड़े वोट बैंक को साधने पर बीजेपी की नजर है। भिवानी, महेंद्रगढ़, गुरुग्राम और झज्जर जिले की चार-चार, रेवाड़ी व मेवात की तीन-तीन और चरखी दादरी की दो विधानसभा सीटें पड़ती हैं। इन सभी विधानसभा सीटों को लेकर ही बीजेपी विधानसभा सीटें पड़ती हैं। इन सभी विधानसभा सीटों को लेकर ही बीजेपी ने महेंद्रगढ़ में ओबीसी सम्मान समारोह रखा। जिसे अमित शाह साधने की कवायद करेंगे।

ओबीसी सैनी जाति से आने वाले सीएम नायब सिंह सैनी को सत्ता की कमान संभालने के बाद से एक्टिव हैं। लोकसभा के नतीजे आने के साथ ही नायब सैनी विधानसभा की जंग को फतह करने के लिए ताबड़तोड़ बैटिंग शुरू कर दी है। सीएम ने हरियाणा में ओबीसी वर्ग में क्रीमी लेयर की सीमा छह लाख से बढ़ाकर आठ लाख कर पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के निर्णय को बदल कर इस वर्ग को बड़ी राहत देने का काम किया । पिछड़ा वर्ग के सम्मान के लिए हरियाणा में बीजेपी सरकार की ओर से लागू की गई योजनाओं को बीसी सम्मेलन के जरिए घर-घर पहुंचाने की रणनीति है।

40 फीसदी से ज्यादा ओबीसी वोटर

हरियाणा में करीब 40 फीसदी से ज्यादा ओबीसी वोटर हैं, जो किसी भी दल का सियासी खेल बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखते हैं। बीजेपी का पूरा फोकस गैर-जाट वोटों पर है। कांग्रेस और इनेलो ने हरियाणा की सत्ता में रहने के दौरान जाट समुदाय के इर्द-गिर्द अपनी सियासत को रखे थे, लेकिन बीजेपी ने गैर-जाटों के बीच नया वोट बैंक तैयार किया। बीजेपी ने अब पिछड़े समुदाय को साधने की कोशिश में जुट गई है।

बीजेपी ने पहले नायब सिंह सैनी को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी और अब सत्ता की कुर्सी उनके हवाले कर दी है। हालांकि, जब उन्हें प्रदेश का अध्यक्ष बनाया गया तब इसे एक संतुलनकारी पहल के तौर पर देखा गया था। लेकिन अब लोकसभा के समीकरण बदल गए हैं। ओबीसी सीएम और प्रदेश अध्यक्ष ब्राह्मण समाज से बनाया है। बीजेपी पूरी तरह से ओबीसी और ब्राह्मण केमिस्ट्री पर काम कर रही है और उसकी फॉर्मूले पर सत्ता की हैट्रिक 

हैट्रिक लगाने में लगी है।

पिछड़ा वर्ग बी में अहीर-यादव, गुर्जर, लोध-लोधा-लोधी, सैनी-शाक्य-कुश्वाहा-मौर्या-कोइरी, मेव, गोसाई- गोस्वामी-गोसैन और बिश्नोई शामिल हैं। भाजपा का गढ़ माने जाने वाले अहीरवाल में इसी वर्ग का वर्चस्व है। रैली स्थल महेंद्रगढ़ चुने जाने के पीछे का मकसद भी यहीं था, ताकि भाजपा अपने पुराने गढ़ का किला न केवल बचाए रखने में कामयाब हो सके,बल्कि आने वाले चुनावों में भी सरकार बनाने में यह वर्ग भाजपा की शक्ति के रूप में उभरे।

पिछड़ा वर्ग-ए की जातियां

इस वर्ग में गडरिया, पाल, बघेल, गढ़ी लोहार, हज्जाम, नाई, सेन, जांगड़ा-ब्राह्मण, खाती, सुथार, धीमान-ब्राह्मण, तरखान, अहेरिया, अहेरी, हेरी, नाइक, थोरी, तुरी, हरी, बारा, हेंसी, हेसी, बगरिया, बरवाड़, बढ़ई, तंबोली, बरागी, बैरागी, स्वामी साध, बत्तेरा, भरभुंजा, भरभुजा, भट, भातरा, दरपी, रमिया, भुहलिया, लोहार, चंगार, चिरिमार, चांग, चिंबा, छिपी, चिंपा, दरजी, रोहिल्ला, दईया शामिल हैं। इनके अलावा धोबी, गोवाला, बरहाई, बद्दी, जोगीनाथ, जोगी, नाथ, योगी, कंजर या कंचन, कुर्मी, कुम्हार, प्रजापति, कंबोज, खंघेरा, कुछबंद, लबाना, लखेड़ा, मनिहार, कचेरा, लोहार, पांचाल-ब्राह्मण, मदारी, मोची, मिरासी, नर, नूंगार, नलबंद, पिंजा, पेनजा, रेहर, रेहरा या रे, रायगड़, राय सिख भी इसी वर्ग में शामिल हैं। इनके अतिरिक्त रीचबंद, शोरगीर, शेरगिरो, सोई, सिंघिकांत, सिंगीवाला, सुनार, जरगर, सोनिक, ठठेरा, तमेरा, तेली, बंजारा, जुलाहा, रहबरी, चरण, चारज (महाब्राह्मण), रंगरेज, लिलगर, नीलगर, लल्लारिक, भर, राजभरी, नेट (मुस्लिम), जंगम, डकौत, धिमार, मल्लाह, कश्यप- राजपूत, कहार, झिवार, धिनवार, खेवत, मेहरा, निषाद, सक्का, भिस्ती, शेख-अब्बासी, धोसाली, दोसाली, फकीर, ग्वारिया, गौरिया या ग्वार, घिरथ, घासी, घसियारा या घोसी, गोरखास, गवाला भी पिछड़ा वर्ग ए में शामिल हैं।