भूपेंद्र सिंह हुड्डा से यारी कहीं जयप्रकाश उर्फ जेपी पर पड़ न जाये भारी

जेपी के मुकाबले में देवीलाल परिवार,ससुर के साथ दो बेटों की नारी

ऋषि प्रकाश कौशिक

हिसार के चुनाव में घेराबंदी न हो यह मुमकिन नही है क्योंकि हिसार का शाब्दिक अर्थ ही किले की घेराबंदी करना होता है। 2024 लोकसभा चुनाव में हिसार की सीट पर चौटाला परिवार के बीच सियासी घमासान में कभी ग्रीन बिग्रेड के मुखिया रहे जयप्रकाश उर्फ जेपी जो कांग्रेस प्रत्याशी है उनके बीच देखने को मिल रहा है। इस सीट पर रणजीत चौटाला के बीजेपी में शामिल होने और लोकसभा चुनावों के लिए हिसार से प्रत्याशी घोषित किए जाने के बाद इस सीट की राजनीति गरमा गई है।

बता दे कि रणजीत चौटाला नायब सैनी मंत्रिमंडल में ऊर्जा और जेल मंत्री हैं। वे 2019 के विधानसभा चुनावों में रनियां से निर्दलीय जीते थे। अब वे बीजेपी के टिकट पर हिसार से चुनाव लड़ रहे है। रणजीत चौटाला हरियाणा के इतिहास के सबसे बड़े नेता ताऊ देवीलाल के बेटे हैं। वे बीजेपी के उम्मीदवार हैं तो वहीं दूसरी इंडियन नेशनल लोक दल (आईएनएलडी) ने इस सीट से सुनैना चौटाला को उम्मीदवार घोषित किया हुआ है। वहीं जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) की तरफ से पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला की मां नैना चौटाला के चुनाव लड़ रही हैं। ऐसे में हिसार की सीट पर चौटाला परिवार के बीच फैमिली फाइट देखने को तो मिल रही है लेकिन राजनीति के इतिहास में ऐसे बिरले ही उदाहरण होगें कि आमने सामने चुनाव लडऩे के बावजूद भी परिवार के सदस्य एक दूसरे पर कोई ऐसी टिप्पणी नही करते कि उनके मान सम्मान को ठेस पहुंचे। एक दूसरे के मान सम्मान का ख्याल रखने से इस बात की भी चर्चा है कि राजनीति के चलते कभी अपने परिवार के संबध खराब नही करने चाहिए। वहीं इन तीन प्रत्याशी के इलावा कांग्रेस पार्टी से हुड्डा के खासम खास जेपी भी हिसार की टिकट पर मैदान में पसीना बहा रहे है।

हिसार से चुनाव लड़ रहे जयप्रकाश और रणजीत चौटाला 26 साल पहले भी आमने सामने चुनाव लड़ चुके है लेकिन उस समय दोनों ही चुनाव हार गये थे। अब हिसार सीट पर यदि मुकाबले की बात करे तो यहा मुकाबला त्रिकोणीय न होकर भाजपा और कांग्रेस में होता जा रहा है लेकिन रणजीत जीत का पक्ष काफी मजबूत बताया जा रहा है। लोकसभा चुनाव में अबकी बार एक खास बात यह भी है कि अबकी बार इनेलो ही एक पार्टी ऐसी है जिसका विरोध नही हो रहा है बाकी सभी प्रत्याशियों का किसी न किसी बात को लेकर विरोध किया जा रहा है। रणजीत सिंह का विरोध किसानों के मुद्दे पर तो जजपा का विरोध भाजपा को समर्थन देने को तो जयप्रकाश का विरोध हुड्डा के मुख्यमंत्री बनाने की पैरवी करने को लेकर हो रहा है। इस विरोध के बावजूद भी सभी प्रत्याशी अपना दम लगाकर खम ठोकने का काम कर रहे है।

अब यदि चुनाव के जोड़ घटा के गणित की बात करे तो भाजपा प्रत्याशी रणजीत सिंह चौटाला का चुनाव केवल और केवल नारनौंद हलके के कारण फंस सकता है यदि भाजपा अपनी समझदारी से रामकुमार गौतम को अपने पक्ष में लाने में सफल रही तो भाजपा यह सीट निश्चित रूप से जीतने का काम कर रही है। वहीं यदि जयप्रकाश की बात करे तो जयप्रकाश हिसार से तीन बार सांसद रह चुके हैं और उनका हिसार क्षेत्र में चुनाव लडऩे का काफी अनुभव है लेकिन पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा का करीबी होने के चलते उनको सभी गुटों का सहयोग मिलना मुश्किल दिख रहा है। दूसरा कांग्रेस का संगठन न होना भी जयप्रकाश की लिए मुश्किले पैदा करने वाला हो सकता है। वो कहते है कि चुनाव का समय ही ऐसा होता है जिसमें चुनाव लडऩे वाले का पिछला सारा रिकार्ड विपक्षी पार्टियों द्वारा जनता के सामने रखा जाता है। जेपी के रिकार्ड में ग्रीन ब्रिगेड का एक काला अध्याय है।

बता दे कि चौ. देवीलाल देश के उप प्रधानमंत्री पद तक पहुंच गए लेकिन महम कांड के समय ग्रीन ब्रिगेड के नाम पर हुई गुंडागर्दी के कारण उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। उस ग्रीन ब्रिगेड का मुखिया कोई और नहीं बल्कि जयप्रकाश उर्फ जेपी था। कांग्रेस के हुड्डा गुट के साथ अन्य गुटों के साथ न आने का प्रबल कारण स्पष्ट रूप से यही है कि जयप्रकाश अपनी जनसभाओं में हुड्डा के राज और उनको भावी सीएम प्रौजक्ट कर रहे है जिससे अन्य गुट में भारी नाराजगी है। बिरेन्द्र सिंह की मौजूदगी में एक जनसभा के दौरान एक समर्थक ने तो जेपी को खरी खरी कहते हुए यह भी कह दिया कि वोट तो हिसार के चाहिए और मुख्यमंत्री की कुर्सी पर रोहतक आले की पैरवी कर रहे हो आप वोट भी रोहतक से ले लेना। अब हुड्डा की यारी जेपी को कितनी भारी पड़ेगी यह तो चुनाव परिणाम बता पायेगा।

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