मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर में जरा भी ईमानदारी व नैतिकता बची है तो सहकारिता विभाग के सौ करोड़ रूपये के घोटाले की जांच ईडी, सीबीबाई को सौंपे। विद्रोही

सौ करोड़ रूपये के सहकारिता घोटाले की निष्पक्ष-स्वतंत्र जांच एसीबी कर ही नही सकती क्योंकि यह घोटाला मुख्यमंत्री खट्टर व उनके मंत्रीयों के सरंक्षण के बिना संभव नही था : विद्रोही

क्या ईडी जांच विपक्ष के नेताओं पर ही होती और सत्तारूढ़ भाजपा नेताओं के घोटाले सामने आने पर भी उन पर ईडी जांच क्यों नही हो सकती? विद्रोही

07 फरवरी 2024 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने मांग की कि यदि मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर में जरा भी ईमानदारी व नैतिकता बची है तो सहकारिता विभाग के सौ करोड़ रूपये के घोटाले की जांच ईडी, सीबीबाई को सौंपे। विद्रोही ने कहा कि सौ करोड़ रूपये के सहकारिता घोटाले की निष्पक्ष-स्वतंत्र जांच एसीबी कर ही नही सकती क्योंकि यह घोटाला मुख्यमंत्री खट्टर व उनके मंत्रीयों के सरंक्षण के बिना संभव नही था। एसीबी जांच के नाम पर लीपापोती करके छोटे अधिकारियों व कर्मचारियों को लपेट में लेकर सहकारिता घोटाले के असली कर्ताधर्ताओं को साफ बचा लिया जायेगा। भाजपा खट्टर राज में विगत नौ सालों में 35 से ज्यादा ऐसे घोटाले हुए है जिनकी जांच के लिए मुख्यमंत्री खट्टर जी ने एसआईटी का गठन करने की नौटंकी की, लेकिन एसआईटी ने लगभग 35 घोटालों में से एक भी घोटाले के असली सरगनाओ को आज तक नही पकडा है।  

विद्रोही ने कहा कि जांच के नाम पर छोटे व नीचले स्तरे के अधिकारियों, कर्मचारियों को फंसाकर घोटाले के असली जिम्मेदार उच्च स्तर के अधिकारियों, मंत्रीयों व सत्तारूढ भाजपा-संघ नेताओं को पाक-साफ बचा लिया गया। सवाल उठता है कि विगत 9 सालों में हरियाणा में पुलिस एसीबी व एसआईटी भी घोटालों के कर्ताधर्ताओं को न पकड सकी और न उन्हे सजा दिलवा सकी तब ऐसी जी-हजूरी पुलिस सहाकारिता घोटाले की निष्पक्ष-स्वतंत्र जांच करेगी, यह सोचना भी बेमानी है। विद्रोही ने कहा कि 100 करोड़ रूपये के घोटाले में सहकारी बैंकों से पैसा निजी बैंक खातों में ट्रांसफर करके सम्पत्तियां खरीदी गई। साफ है कि यह मनीलाड्रिंग का केस है जिसमें मनीलाड्रिंग के सबूत है। मनीेलाड्रिंग के इस केस की जांच भाजपा सरकार ईडी को क्यों नही दे रही? 

विद्रोही ने सवाल किया कि क्या ईडी जांच विपक्ष के नेताओं पर ही होती और सत्तारूढ़ भाजपा नेताओं के घोटाले सामने आने पर भी उन पर ईडी जांच क्यों नही हो सकती? हरियाणा में विगत 9 सालों में हजारों करोड़ रूपये के जो 35 से ज्यादा घोटाले सामने आये है, क्या वे घोटाले मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर के सरंक्षण व समर्थन के बिना संभव थे? हरियाणा के हर घोटाले में मुख्यमंत्री खट्टर स्वयं संलिप्त है तभी आज तक एक भी घोटाले के सरगना पकडे नही गए है। मुख्यमंत्री खट्टर ने सत्ता दुरूपयोग से हर घोटाले को जांच को दबाया है। ऐसी स्थिति में सहज अनुमान लगा ले कि सहकारिता घोटाले की जांच भी दब जायेगी। विद्रोही ने मांग की कि इस सहकारिता घोटाले की जांच ईडी, सीबीआई को हरियाणा सरकार सौंपे और यदि यह सरकार ईडी व सीबीआई को जांच नही सौंपती है तो खुद ही प्रमाणित हो जायेगा कि इस घोटाले मेें मुख्यमंत्री व उनके मंत्री व भाजपा-संघ के उच्च नेता सीधे तौर पर संलिप्त है।  

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