देश में लागू व्यवस्था अनुसार प्रतिवर्ष 26 जनवरी गणतंत्र दिवस को राज्यपाल का समारोह ही होता है प्रदेश स्तरीय कार्यक्रम अधिकांश राज्यों में प्रदेश के मुख्यमंत्री गणतंत्र दिवस पर स्वयं तिरंगा न फहराकर राज्यपाल के समारोह में ही होते हैं शामिल गुजरात के मुख्यमंत्री रहते नरेंद्र मोदी भी प्रदेश के राज्यपाल के गणतंत्र दिवस समारोह में होते थे शामिल राजधानी दिल्ली में भी प्रधानमंत्री नहीं बल्कि राष्ट्रपति फहराते हैं कर्तव्य पथ पर तिरंगा एडवोकेट हेमंत कुमार चंडीगढ़ — हरियाणा सरकार के राजनीतिक एवं संसदीय कार्य विभाग द्वारा सर्वप्रथम गत शनिवार 20 जनवरी और फिर बुधवार 24 जनवरी को जारी दो अलग अलग शासकीय आदेश पत्रों में आगामी 26 जनवरी 2024 को देश के 75वें गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में प्रदेश के 81 सब डिवीज़नों (हालांकि राज्य में आधिकारिक तौर पर 80 उपमंडल है चूँकि भिवानी जिले में बवानी खेड़ा को आज तक सब डिवीज़न का दर्जा प्राप्त नहीं है ) पर सरकारी समारोहों आयोजित किया जाने का उल्लेख है जहाँ महामहिम राज्यपाल, मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, सभी मंत्रीगण, विधानसभा अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष, राज्य से निर्वाचित भाजपा सांसद, सत्तारूढ़ गठबंधन के कई विधायक और कुछ स्थानों पर निर्वाचित जिला परिषद अध्यक्ष राष्ट्रीय ध्वज फहरायेगे. वहीं राज्य के चार उपमंडलों — नरवाना, बेरी, तावडू और कालांवाली में सम्बंधित एस.डी.एम. (उपमंडलाधीश) ऐसा करेंगे. रोचक बात यह है कि हालांकि डेढ़ वर्ष पूर्व 15 अगस्त 2022 को स्वतंत्रता दिवस पर भी इसी प्रकार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा, जिनका प्रदेश के कैबिनेट मंत्री के समकक्ष दर्जा है, को भी झज्जर जिले के बेरी उपमंडल के सरकारी समारोह में भेजा गया था हालांकि इस वर्ष 26 जनवरी गणतंत्र दिवस की सूची में उनका नाम नहीं है. उनके सुपुत्र और प्रदेश से राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा का भी ताज़ा गणतंत्र दिवस की सूची से नाम नदारद है जबकि अगस्त,2022 में उन्होंने भी सोनीपत के खरखौदा उपमंडल के सरकारी कार्यक्रम में ध्वजारोहण किया था. इसी बीच पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि सर्वप्रथम यह अत्यंत आश्चर्यजनक है कि बीते कई वर्षों की तरह इस वर्ष भी हरियाणा सरकार द्वारा गणतंत्र दिवस मनाने के उपलक्ष्य पर ताज़ा जारी शासकीय पत्र में प्रदेश के संवैधानिक प्रमुख अर्थात राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय द्वारा जिला पानीपत मुख्यालय पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने और परेड की सलामी लेने के आधिकारिक कार्यक्रम को प्रदेश स्तरीय (स्टेट लेवल ) समारोह के तौर पर उल्लेख नहीं किया गया है हालांकि 26 जनवरी का दिन भारत के संविधान के लागू होने और भारत देश के रिपब्लिक ( गणतंत्र ) बनने की वर्षगांठ के तौर पर मनाया जाता है. पडोसी पंजाब राज्य में पटियाला जिला मुख्यालय पर वहां के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित के सरकारी कार्यक्रम को पंजाब सरकार ने हालांकि सरकारी पत्र में प्रदेश स्तरीय कार्यक्रम घोषित किया है. अब हरियाणा में ऐसा क्यों नहीं किया जाता है और क्या इसकी वास्तविक वजह सम्बंधित बाबुओं की महज लापरवाही है और कुछ और कारण, यह निश्चित तौर पर जांच करने योग्य है. बहरहाल, हेमंत ने आगे बताया कि 15 अगस्त भारत की स्वतंत्रता दिवस के दिन राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में देश के प्रधानमंत्री लाल क़िले की प्राचीर पर ध्वजारोहण करते हैं और राष्ट्र को सम्बोधित करते हैं जबकि गणतंत्र दिवस पर भारत के राष्ट्रपति कर्तव्य पथ (पूर्व नाम राजपथ) पर राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं और परेड की सलामी लेते हैं हालांकि उनका कोई सम्बोधन नहीं होता. इसका अर्थ है कि स्वतंत्रता दिवस पर देश के राजनीतिक प्रमुख / शासनाध्यक्ष अर्थात प्रधानमंत्री द्वारा ध्वजारोहण किया जाता है जबकि गणतंत्र दिवस पर संवैधानिक प्रमुख / राष्ट्राध्यक्ष अर्थात देश के महामहिम राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराने और परेड की सलामी की परंपरा चली आ रही है. हालांकि हेमंत ने बताया कि भारत के कुछेक राज्यों में जिनमे हरियाणा भी शामिल हैं में 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर राज्यपाल के सरकारी समारोह के अलावा प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष/उपाध्यक्ष, मुख्यमंत्री/उपमुख्यमंत्री एवं समस्त मंत्रीगण और अब गत दो वर्षो से सत्तारूढ़ पार्टी के विधायक द्वारा भी द्वारा भी राज्य के विभिन्न जिला स्तरीय सरकारी समारोहों में राष्ट्रीय ध्वज फहराकर परेड की सलामी ली जाती है. वहीं इसके विपरीत देश के अधिकांश प्रदेशो में आज भी जैसे राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में केवल भारत के राष्ट्राध्यक्ष अर्थात महामहिम राष्ट्रपति महोदय ही राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं उसी तर्ज पर उन राज्यों में मुख्य सरकारी समारोहों में वहां के राज्यपाल ही राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं और परेड की सलामी लेते हैं जबकि सम्बंधित प्रदेश के मुख्यमंत्री स्वयं किसी जिले में तिरंगा न फहराकर राज्यपाल के प्रदेश स्तरीय कार्यक्रम में ही गेस्ट ऑफ़ हॉनर के तौर पर शामिल होते है. पडोसी राज्य हिमाचल प्रदेश में भी ऐसा ही होता है जहाँ मुख्यमंत्री राजधानी शिमला में ऐतिहासिक रिज मैदान में गणतंत्र दिवस पर आयोजित होने वाले राज्यपाल के ही समारोह में शामिल होते हैं. हरियाणा के मौजूदा राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय जब वर्ष 2019-2021 तक हिमाचल के राज्यपाल थे, तब भी प्रदेश के मुख्यमंत्री गणतंत्र दिवस पर उन्हीं के कार्यक्रम में शामिल होते थे. दक्षिण भारत के सभी राज्यों में भी वर्षो से ऐसी ही व्यवस्था चली आ रही है. इस आशय में हेमंत ने एक रोचक जानकारी देते हुए बताया कि अक्टूबर, 2001 से मई, 2014 तक अर्थात जब तक देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे थे तब तक वह हर वर्ष 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य पर गुजरात प्रदेश के राज्यपाल के समारोह में ही उपस्थित रहते थे. उनके आगे बताया कि भारत सरकार द्वारा वर्ष 1974 में जारी एक सरकारी पत्र अनुसार देश के सभी प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को अपने अपने प्रदेशों में 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के दिन ही ध्वजारोहण करने की अनुमति प्रदान की गई थी. वर्ष 1974 से पहले हर वर्ष 15 अगस्त और 26 जनवरी अर्थात दोनों राष्ट्रीय दिनों के उपलक्ष्य पर देश के राज्यों में आयोजित होने वाले मुख्य सरकारी समारोह में केवल महामहिम राज्यपाल ही क्रमशः ध्वजारोहण करते थे एवं राष्ट्रीय ध्वज फहराते थे. तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि ने आज से पचास वर्ष पूर्व फरवरी, 1974 में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी से आह्वान किया था कि जिस प्रकार देश के प्रधानमंत्री हर वर्ष 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस को लाल किले पर ध्वजारोहण करते है, वैसे ही प्रदेशों के मुख्यमंत्री को भी अपने अपने राज्यों में ध्वजारोहण करने की अनुमति मिलनी चाहिए जिसके बाद भारत सरकार ने एक सरकारी पत्र जारी कर स्पष्ट किया कि प्रतिवर्ष 26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर प्रदेशों में राज्यपाल राष्ट्रीय ध्वज फहराएंगे जबकि 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस पर मुख्यमंत्री प्रदेशों में ध्वजारोहण करेंगे. 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