नूरगढ़ आश्रम में श्रद्धालुओं के द्वारा एक लाख दिये प्रज्वलित 
यहां जगमग रोशन दिये देख अयोध्या का दीपोत्सव हुआ महसूस 

 फतह सिंह उजाला                                       

पटौदी 13 नवंबर । पूरे देश में दीपावली पर्व के मौके पर दीपोत्सव धूमधाम के साथ मनाया जाता है । जब से राम मंदिर का निर्माण आरंभ होने के साथ राम मंदिर के पक्ष में फैसला आया है, उसके बाद से अयोध्या में दीपोत्सव दुनिया भर में आकर्षण का केंद्र बना रहता है।                                                                                                                 

इसी कड़ी में दिल्ली एनसीआर के पटौदी विधानसभा क्षेत्र के देहात में गांव नारगढ़ में मौजूद सोहम आश्रम में भी दीपावली महोत्सव पर दीपोत्सव अलौकिक महोत्सव से काम नहीं होता। बीते कई वर्षों से सोहम आश्रम के संस्थापक स्वर्गीय स्वामी सोमदेव जी महाराज के अनुयाई और आश्रम के प्रति श्रद्धालु संपूर्ण आश्रम को दिवाली के मौके पर अयोध्या की तर्ज पर सरसों के तेल से भरे दिए को रोशन कर जगमग करते आ रहे हैं । इस बार भी सोहम आश्रम नूरगढ़ में गांव नूरगढ़ मंगवाकी व आसपास के गांव के निवासियों के द्वारा एक लाख दिए रोशन किए गए। इस मौके पर सत्यनारायण शर्मा, मास्टर जय नारायण, नंबरदार सूरजपाल, सरपंच राधेश्याम, मास्टर भूदेव, नंबरदार धर्म, सरपंच सुधीर,  के अलावा यहां आश्रम में रहकर दीन-हीन रोगियों और घायल जख्मी पक्षियों की सेवा कर रही साध्वी शारदा व अन्य श्रद्धालु मौजूद रहे ।अमावस्या के मौके पर अंधेरी रात में कई किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले नूरगढ़ के सोहम आश्रम में जगमग दियो की रोशनी का प्रकाश कई किलोमीटर दूर से ही आकर्षित करने वाला रहा । 

यहां आश्रम परिसर में आश्रम के संस्थापक ब्रह्मलीन स्वामी सोमदेव महाराज के समाधि स्थल और उनके निजी कक्ष में भी विशेष रूप से दिये प्रज्वलित  किए गए । इसके अलावा यहां आश्रम परिसर में अलग-अलग स्थान का अलग-अलग नामकरण किया गया है, जैसे संस्कृति विहार के अलावा और भी नामकरण किए हुए हैं । आश्रम के प्रवेश द्वार से लेकर प्रत्येक क्षेत्र में श्रद्धालुओं के द्वारा दीपावली के मौके पर सरसों के तेल के दिये रोशन किए गए। सत्यनारायण शर्मा और सरपंच राधेश्याम के मुताबिक यहां आश्रम में बीते कई वर्षों से एक लाख दिए दीपावली के पर्व पर रोशन करने की परंपरा बनी हुई है । मेजबान गांव के साथ ही आसपास के गांव के रहने वाले ग्रामीण बड़े ही श्रद्धा भाव के साथ यहां पहुंचते हैं । मिट्टी के बने दियो को पानी से साफ कर उनमें रुई की बत्ती बना सरसों का तेल भरकर इसके साथ ही सभी दियो को रोशन कर अयोध्या के जैसी दिवाली मनाते आ रहे हैं।

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