एडीसी अखिल पिलानी व केडीबी मानद सचिव उपेन्द्र सिंघल ने सन्निहित सरोवर पर किया भूमि पूजन।
सन्निहित सरोवर पर स्थापित होगी महर्षि दधीचि की प्रतिमा, प्रोजेक्ट पर खर्च होगा 1 करोड़ से ज्यादा का बजट।
महर्षि दधीचि के साथ भगवान इन्द्र वज्र की प्रतिमा भी आएगी नजर, मुख्यमंत्री ने की थी घोषणा।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

कुरुक्षेत्र 28 सितंबर : राज्य सरकार प्राचीन सन्निहित सरोवर को अंतर्राष्ट्रीय मानचित्र पर लाने के लिए भव्य और सुंदर तीर्थ बनाएंगी। इस तीर्थ को विकसित करने तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलवाने के लिए ही सर्वोच्च बलिदान करने वाले महर्षि दधीचि की प्रतिमा को स्थापित किया जाएगा। इस प्रतिमा के पीछे सूर्य और साथ में भगवान इन्द्र और वज्र की प्रतिमा भी स्थापित की जाएगी। अहम पहलू यह है कि इस प्रोजेक्ट पर कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड की तरफ से 1 करोड़ 30 लाख का बजट खर्च किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट को अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2023 से पहले पूरा करने का लक्ष्य भी निर्धारित किया गया है।
कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड की तरफ से वीरवार को सन्निहित सरोवर पर महर्षि दधीचि की प्रतिमा स्थापित करने के लिए प्लेटफार्म निर्माण कार्य शुरू करने के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में अतिरिक्त उपायुक्त एवं केडीबी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अखिल पिलानी, केडीबी के मानद सचिव उपेन्द्र सिंघल, 48 कोस तीर्थ कमेटी के चेयरमैन मदन मोहन छाबड़ा ने मंत्रोच्चारण के बीच भूमि पूजन किया। केडीबी के मानद सचिव उपेन्द्र सिंघल ने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने 2 वर्ष पूर्व सन्निहित सरोवर पर महर्षि दधीचि की प्रतिमा स्थापित करने की घोषणा की थी। इस घोषणा के अनुसार ही कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड की तरफ से प्रतिमा स्थापित करने के लिए प्लेट फार्म बनाने के कार्य का शुभारंभ किया गया है। इस प्लेटफार्म के बनने के उपरांत प्रसिद्ध कलाकार राम सुतार द्वारा विशेष मेटल से बनाई गई महर्षि दधीचि की प्रतिमा स्थापित की जाएगी, इस प्रतिमा के साथ ही इन्द्र और वज्र की भी प्रतिमा स्थापित की जाएगी।

उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट पर लगभग 1 करोड़ 30 लाख का बजट खर्च किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट को दिसंबर माह यानी अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2023 से पहले पूरा कर लिया जाएगा। इन मूर्तियों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है और प्लेटफार्म बनने के उपरांत इन मूर्तियों को स्थापित कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि महर्षि दधीचि का आश्रम भी सरस्वती नदी के किनारे यानि सन्निहित सरोवर पर ही था, इसी स्थल पर ही राक्षसों का अंत करने के लिए अपनी हड्डियों का दान सन्निहित सरोवर पर ही दिया था। इन हड्डियों से ही राक्षसों को मारने के लिए वज्र का निर्माण किया गया था। यह वज्र देश के सर्वोच्च परमवीर चक्र मेडल पर भी अंकित है।

48 कोस तीर्थ कमेटी के चेयरमैन मदन मोहन छाबड़ा ने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सन्निहित सरोवर को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लाने के लिए ही इस परियोजना को अमली जामा पहनाने का काम किया है। इस प्रतिमा के स्थापित होने के बाद निश्चित ही पर्यटकों की संख्या में इजाफा होगा और ब्रह्मसरोवर की तरह इस सरोवर पर भी विश्व के कोने-कोने से पर्यटक पहुंचेंगे। मुख्यमंत्री मनोहर लाल की सोच के अनुसार ही कुरुक्षेत्र के 48 कोस के तीर्थो को विकसित करने के लिए विकास कार्य चल रहे है। इस मौके पर केडीबी सदस्य डा. ऋषिपाल मथाना, कैप्टन परमजीत सिंह, केडीबी सदस्य मलकीत सिंह, केडीबी के पूर्व सदस्य राजेश शांडिल्य सहित केडीबी के अधिकारी और गणमान्य लोग उपस्थित थे।

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