कहा- किसानों को हुआ भारी नुकसान, 40 हजार प्रति एकड़ मुआवजा दे सरकार
बाढ़ प्रभावितों को पोर्टल के चक्कर में उलझाकर उनके जले पर नमक छिड़क रही है सरकार- हुड्डा
आपदा की घड़ी में लोगों को पोर्टल की नहीं, मदद की है दरकार- हुड्डा
हिमाचल सरकार की तर्ज पर हरियाणा सरकार भी केंद्र से मांगे राहत पैकेज- हुड्डा
विधानसभा समेत हर मंच पर उठाएंगे बाढ़ प्रभावितों का मुद्दा- हुड्डा

सिरसा, 23 जुलाईः लगातार पूरे प्रदेश में बाढ़ ग्रस्त इलाकों का दौरा कर रहे पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा आज सिरसा पहुंचे। उन्होंने बाढ़ प्रभावित इलाकों में जाकर लोगों की समस्याएं सुनीं। गांववालों ने बताया कि बाढ़ की वजह से खेती पूरी तरह बर्बाद हो गई है। किसान और मजदूर जलभराव से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। सभी को अब सरकार की तरफ से सहायता की दरकार है। हुड्डा ने प्रभावित लोगों की समस्याओं को विधानसभा में उठाने का भरोसा दिलाया। साथ ही अपनी मांग को दोहराते हुए कहा कि सरकार को तुरंत प्रभाव से किसानों को 40 हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा देना चाहिए। किसानों के साथ मकानों और दुकानों को हुए नुकसान की भरपाई भी सरकार द्वारा की जानी चाहिए। हुड्डा ने मृतकों के परिवारों को दी जाने वाली राशि को भी नाकाफी बताया। उन्होंने कहा कि से 4 लाख से बढ़ाकर 20 लाख रुपए करना चाहिए।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि प्रदेश सरकार को केंद्र से राहत पैकेज की मांग करनी चाहिए। हिमाचल की कांग्रेस सरकार ने केंद्र से मांग की है। हरियाणा सरकार को भी पीछे नहीं रहना चाहिए। पूरे प्रदेश में बाढ़ ने भयंकर तबाही मचाई है। जनता अब सरकार से राहत की उम्मीद कर रही है।

आज गांववालों और सरपंचों ने अपने मांगों का ज्ञापन भी नेता प्रतिपक्ष को सौंपा। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार से जनता नाउम्मीद हो चुकी है। ऐसे में कांग्रेस सरकार बनने पर उनकी मांगों को पूरा किया जाए। हुड्डा ने लोगों को मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया।

लोगों से बातचीत के बाद हुड्डा ने कहा कि इस इलाके में ज्यादा बारिश नहीं हुई है। पीछे से पानी आने की वजह से यहां पर बाढ़ आई है। यहां तक पानी पहुंचने में लगभग एक हफ्ता लगता है। अगर बीजेपी-जेजेपी सरकार वक्त रहते बचाव के लिए कदम उठाती तो इलाके में बाढ़ की स्थिति पैदा नहीं होनी थी। लेकिन सरकार ने ना तटबंध को मजबूत किया, ना ही घग्गर की मिट्टी निकाली गई। ना ड्रेन्स की सफाई की गई और ना ही सरकार द्वारा ओटू झील की खुदाई करवाई गई। इस झील की खुदाई 4 चरणों में होनी थी। कांग्रेस कार्यकाल के दौरान 2 चरणों की खुदाई पूरी हो चुकी थी लेकिन पिछले 9 साल में इस सरकार ने झील में एक कस्सी तक नहीं मारी। गांव वालों ने बताया कि इसी तरह 9 साल से कभी भी ड्रेन्स की सफाई नहीं हुई।

हुड्डा ने कहा कि लोग काफी नुकसान झेल चुके हैं। अब सरकार को किसी तरह की लेटलतीफी या कोताही नहीं करनी चाहिए। तुरंत प्रभाव से सभी को उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए। लेकिन सरकार द्वारा एक बार फिर जनता को पोर्टल के चक्कर में उलझा रही है। जबकि बाढ़ की वजह से सबसे ज्यादा नुकसान गरीबों और किसानों का हुआ है, जिन्हें पोर्टल तक चलाना नहीं आता। बाढ़ प्रभावितों को पोर्टल के जंजाल में उलझाकर सरकार उनके जले पर नमक छिड़कने का काम कर रही है। अक्सर देखा गया है कि सरकार जब भी अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ना झाड़ना चाहती है तो वह पोर्टल की आड़ ले लेती है। इस बार भी ऐसा होता नजर आ रहा है। सरकार को जनता की हालत समझनी चाहिए। जनता को मुआवजे की जरूरत है, पोर्टल की नहीं।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि गठबंधन सरकार को सड़कों की हालत पर भी ध्यान देना चाहिए। क्योंकि पूरे प्रदेश में सड़कों की हालत पहले से ही बेहद खराब थी। बारिश की वजह से यह अब और खस्ताहाल हो चुकी है। इसी तरह बाढ़ के बाद बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ गया है। उसको लेकर भी अभी से कदम उठाए जाने चाहिए।

हुड्डा ने इलाके में गांववालों द्वारा अपने स्तर पर किए जा रहे बचाव कार्यों की भी सराहना की। साथ ही उन्होंने कहा कि आपदा की घड़ी में ग्रामीण, सरपंच और पंचायतें खुद आगे आकर काम कर रहे हैं। जबकि सरकार ई-टेंडरिंग के जरिए पंचायत प्रतिनिधियों को ही दरकिनार करना चाहती है। कम से कम अब सरकार को समझ में आ जाना चाहिए कि पंचायतों के हाथों में ही गांव के हित सुरक्षित हैं, ना कि अधिकारियों के हाथों में।

इस मौके पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ पूर्व सांसद एससी सेल अध्यक्ष सुशील इदौरा, कांग्रेस विधायक राव दान सिंह, शीशपाल केहरवाला, वरिष्ठ नेता डॉ. केवी सिंह, पूर्व विधायक भरत सिंह बेनीवाल, राजकुमार शर्मा, अमीर चावला और मलकीत सिंह खोसा समेत कई गणमान्य लोग मौजूद रहे।

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