—- केजरीवाल को नही है हरियाणा के हितों से प्रेम — लाखों किसानों का हक मारने वाले केरजीवाल को हरियाणा की जनता माफ नही करेगी —- केजरीवाल और भगवंत मान को माननीय सर्वोच्च अदालत के निर्णय का सम्मान करना चाहिए– बोले धनखड़ चंडीगढ़ 14 अक्टूबर। आप के मुखिया अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को हरियाणा के हक पर कब्जा करने की बजाय अपना बड़ा दिल करते हुए तत्काल एस वाई एल नहर का निर्माण कार्य शुरू कर एसवाईएल का पानी हरियाणा पहुंचाने की व्यवस्था करनी चाहिए। इस नेक कार्य से हरियाणा के लाखों किसानों का भला होगा और माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का सम्मान होगा। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ ने आज दोनों प्रदेशों के मुख्यमंत्री की बैठक में पंजाब के मुख्यमंत्री मान के अव्यवहारिक रुख की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि लोकतंत्र में संविधान सर्वोपरि है। संविधान में स्थापित कानून और मूल्यों पर आधारित माननीय सर्वोच्च अदालत ने हरियाणा के हक में फैसला दिया हुआ है। इस फैसले का सभी पक्षों को सम्मान करना चाहिए। धनखड़ ने कहा कि अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान को न तो हरियाणा के किसानों की चिंता है, और न ही देश के संविधान की स्थापित गरिमा की । भारत देश बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा लिखे गए संविधान को मानने से चलेगा, अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान की नकारात्मक सोच से नहीं। केजरीवाल हरियाणा में आकर हरियाणा की मिट्टी का लाल होने की दुहाई देते हैं और दिल्ली जाकर हरियाणा के लाखों किसानों के हकों को मारने का काम करते हैं। हरियाणा में यह दोगलापन नहीं चलेगा और न ही हरियाणा की जनता को दोगलापन सहन करने की आदत है।केजरीवाल को अच्छी तरह पहचान गई है और समय आने पर जवाब भी देगी। हरियाणा के स्वाभिमानी लोग उधार नही रखते। धनखड़ ने कहा कि हमें पूरी उम्मीद है कि माननीय सर्वोच्च अदालत पंजाब सरकार को एस वाई एल नहर के निर्माण कार्य को पूरा करने की दिशा उचित आदेश देगी। हमे कानून और संविधान पर पूरा विश्वास है। अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान को भी देश के कानून का सम्मान करना चाहिए। धनखड़ ने कहा कि हरियाणा सरकार और संगठन केंद्र सरकार के समक्ष अपनी बात पूरी मजबूती रखेगा। साथ ही अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान के अव्यवहारिक रुख की पूरी जानकरी दी जाएगी। Post navigation श्रम विभाग के सहायक निदेशक व हिसार के क्लर्क को दस-दस हजार का जुर्माना बात बड़े मनोहर माहौल में हुई, लेकिन मान साहब माने नहीं