भारी बरसात व जलभराव से खरीफ फसलों को रेवाडी सहित प्रदेश में हुए भारी नुकसान पर अभी तक खेतों में जाकर न तो विशेष गिरदावरी हुई है और न ही प्रशासन फसलों को हुए नुकसान के अनुरूप खराबे की रिपोर्ट सरकार को दे रहे है। विद्रोही रेवाडी, 08 अक्टूबर 2022 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि भारी बरसात व जलभराव से खरीफ फसलों को रेवाडी सहित प्रदेश में हुए भारी नुकसान पर अभी तक खेतों में जाकर न तो विशेष गिरदावरी हुई है और न ही प्रशासन फसलों को हुए नुकसान के अनुरूप खराबे की रिपोर्ट सरकार को दे रहे है। विद्रोही ने कहा कि दक्षिणी हरियाणा के रेवाडी, महेन्द्रगढ़, गुरूग्राम जिले के हर खेत में से खराब बाजरे की फसल उठा ली गई क्योंकि किसान को सरसों फसल की बिजाई करनी है। सवाल उठता है कि जब खेतों में खराब फसल नही रही तो राजस्व कर्मचारी किस खराब फसल की विशेष गिरदावरीे करके नष्ट फसलों का आंकलन करेगे? साफ है कि कागजों में मुठ्ठीभर किसानों का थोडा बहुत नुकसान दिखाकर भाजपा खट्टर सरकार दक्षिणी हरियाणा में खरीफ फसलों के वास्तविक नुकसान को छिपाकर नाममात्र का मुआवजा देकर किसानों को नष्ट फसलों के मुआवजे के नाम पर ठगेगी। विद्रोही ने इसका उदाहरण देते हुए बताया कि रेवाडी के जिला प्रशासन ने सरकार को जो रिपोर्ट भेजी है, वह अपने आप बताती है कि सरकार की नीयत में खोट है। विद्रोही ने बताया कि जिला प्रशासन रेवाडी ने सरकार के राजस्व विभाग को 21 सितम्बर से अब तक वर्षा व जलभराव से नष्ट फसलों की जो रिपोर्ट भेजी है, वह अपने आप में बताती है कि सरकारी प्रशासन वास्तव में नुकसान को काफी कम दिखा रहा है। रेवाडी प्रशासन की रिापोर्ट अनुसार जिले में जलभराव से बावल तहसील के गांव खातिवास, किशनपुरा, पाल्हावास उप-तहसील के गांव कन्हौरी व नाहड़ उप-तहसील के गांव नेहरूगढ़ में एक मकान में आर्थिक नुकसान दिखाया है। प्रशासन की रिपोर्ट अनुसार रेवाडी जिले में अन्य कहीं भी जलभराव से फसलों को कोई नुकसान नही हुआ। वहीं प्रशासन ने भारी बरसात से फसलों को जो नुकसान की रिपोर्ट भेजी है, उसके अनुसार रेवाडी तहसील में बाजरे की कटी फसल को 15 सेे 25 प्रतिशत व खडी फसल को 15 प्रतिशत नुकसान दिखाया है। वहीं कपास फसल को 10 से 15 प्रतिशत नुकसान होना दर्शाया है। बावल तहसील में बाजरे की कटी फसल को 35 से 50 प्रतिशत तथा खडी फसल को 20 प्रतिशत नुकसान व कपास की फसल को 15 से 25 प्रतिशत नुकसान दिखाया है। कोसली तहसील में कपास फसल की 1198 भूमि में 10 से 15 प्रतिशत नुकसान व बाजरे की 1527 एकड़ फसल में 10 से 15 प्रतिशत नुकसान दिखाया है। कपास की फसल में 22 से 50 प्रतिशत नुकसान दिखाया है। धारूहेडा उप-तहसील के 15 गांवों में बाजरा व कपास की फसलों में 15 प्रतिशत नुकसान दिखाया है। डहीना उप-तहसील में बाजरे की फसल में 15 से 20 प्रतिशत नुकसान तथा कपास की फसल में 10 से 15 प्रतिशत नुकसान दिखाया है। मनेठी उप-तहसील में 875 एकड बाजरे की फसल में 10 से 15 प्रतिशत नुकसान व कपास फसल 2344 एकड़ जमीन में 10 से 20 प्रतिशत नुकसान बताया है। नाहड उप-तहसील के 25 गांवों में 15 से 25 प्रतिशत फसल नुकसान दिखाया है। पाल्हावास उप-तहसील में 10 गांवों की 800 एकड जमीन में मामूली नुकसान दिखाया है। विद्रोही ने कहा कि रेवाडी प्रशासन की यह रिपोर्ट मुंह बोलता प्रमाण है कि बावल व धारूहेडा तहसीलों में मुठ्ठीभर किसानों को नाममात्र का मुआवजा मिलेगा, वहीं पूरे रेवाडी जिले में किसानों को नष्ट फसलों के बावजूद भी तिडकम से प्रशासन ने मुआवजे के लिए अपात्र कर दिया है। यहीं स्थिति पूरे हरियाणा के अन्य जिलों की है, जहां दफ्तरों में बैठकर ऐसी रिपोर्ट प्रशासन ने बनाई है जिससे किसानों को नष्ट फसलों का सही मुआवजा न मिले और चंद किसानों को नाममात्र का मुआवजा देकर किसानों को मूर्ख बनाया जा सके। Post navigation कथित जंगल सफारी प्रोजेक्ट वास्तव में अरावली क्षेत्र की जंगल, जमीन धन्ना सेठों को सौंपने का षडयंत्र है। विद्रोही ‘मीडिया का बदलता स्वरूप’ विषय पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन