मार्केट कमेटी कार्यालय के बाहर प्रदर्शन के साथ अनिश्चितकालीन हड़ताल.
वरिष्ठ आईएएस अशोक खेमका के ट्वीट ने किया आग में घी का काम.
देश भर में आढ़ती 2 प्रतिशत पर ही कर रहे ईमानदारी से काम

फतह सिंह उजाला

पटौदी ।   कृषि अध्यादेशों को लेकर किसानों के बाद अब फसलों की खरीद-फरोख्त करने वाला व्यापारी वर्ग भी भड़क गया है । इस मामले में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अशोक खेमका के ट्वीट में आग में घी का काम किया है। अशोक खेमका के ट्वीट और कृषि अध्यादेश के विरोध में एशिया में जौ के लिए विख्यात रही हेलीमंडी अनाज मंडी के व्यापारियों ने शुक्रवार को अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा करते हुए मार्केट कमेटी कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन करते हुए धरना भी दिया ।

यह विरोध प्रदर्शन और धरना हरियाणा स्टेट आढ़ती एसोसिएशन और हेलीमंडी व्यापार मंडल के सभी पदाधिकारियों एवं दोनों संगठनों के व्यापारी सदस्यों के द्वारा किया गया । व्यापारियों ने साफ-साफ कहा कि वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अशोक खेमका को जिस भी विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई, उस विभाग में उठे विवादों का भूचाल सरकार के लिए परेशानी का कारण बनता रहा है । अब बीजेपी सरकार के लिए और एक नई मुसीबत खड़ी कर दी गई है ।

धरना प्रदर्शन के दौरान विभिन्न व्यापारी वक्ताओं ने कहा कि एक तरफ तो पीएम मोदी, केंद्र सरकार के साथ-साथ हरियाणा की खट्टर सरकार एक देश एक विधान का दावा करती आ रही है। लेकिन हकीकत आज बिल्कुल इसके उलट दिखाई दे रही है । व्यापारी वर्ग के द्वारा अपने-अपने तर्क रखकर कृषि अध्यादेश के साथ-साथ सरकार की नीतियों को पूरी तरह से किसान और व्यापारी विरोधी ठहराया गया। व्यापारियों ने कहा कि किसान और व्यापारी कई पीढ़ियों से एक दूसरे के साथ मिलकर अनाज की खरीद फरोख्त का काम करते हुए बेहद खुश हैं । लेकिन कुछ ऐसे भी पॉलिसी मेकर अधिकारी हैं , जिनको किसान व्यापारी का यह पीढ़ी दर पीढ़ी चला आ रहा संबंध अब खटक ने लगा है । जब-जब भी व्यापारी पर किसी भी सरकार के द्वारा लाए गए कानून और नियम से प्रतिकूल प्रभाव पड़ता दिखाई दिया है तो सबसे पहले किसानों ने ही व्यापारियों के साथ साथ व्यापारिक हित के लिए लाठियां खाई हैं । सरकार चाहे किसी भी पार्टी की रही हो। किसानों के द्वारा लाठियां  खाना यह एक कड़वी सच्चाई और ऐतिहासिक तथ्य सरकारी दस्तावेजों में दर्ज हुआ है ।

वास्तव में किसान सबसे अधिक भरोसा व्यापारी और आढ़ती पर ही करता आ रहा है। व्यापारी और आढ़ती किसान के लिए एटीएम है । व्यापारी वक्ताओं ने तो यहां तक आरोप लगाए कि सरकार को अपनी आंखों के सामने हो रहा भ्रष्टाचार दिखाई नहीं देता । जिसका सबसे मजबूत अकाट्य साक्ष्य यह है कि करोड़ों रुपए की लागत से बनाए जाने वाले ब्रिज अथवा पुल बनने से पहले ही गिर रहे हैं। लेकिन आज तक ऐसे प्रोजेक्ट को बनाने वाले अथवा तैयार करने वाले कितने ठेकेदार ,कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई हुई, लाठीचार्ज हुआ, जेल हुई इस बात का किसी भी सरकार के पास कोई जवाब नहीं है । वही व्यापारी वर्ग पूरे देश में केवल मात्र 2 प्रतिशत के मार्जन पर ईमानदारी से काम कर रहा है और इस 2 प्रतिशत में ही व्यापारी और आढ़ती फसल खरीद के दौरान और अपने व्यवसाय के साथ-साथ परिवार के भरण-पोषण सहित हर आपदा की घड़ी में सरकार को भी आर्थिक सहयोग देता रहा है ।

 इसके विपरीत सच्चाई यह है की कुछ भ्रष्ट अधिकारी कथित रूप से इस 30 प्रतिशत तक कमीशन लेकर के फाइलों को आगे सरकाते हैं। ऐसे लोगों का भ्रष्टाचार न तो ईमानदार अफसरों को दिखता है और ना ही सरकार देखने का प्रयास कर रही है । व्यापारी नेताओं ने कहा कि बीजेपी सरकार को यह सोचना चाहिए कि पंजाब में अकाली दल ने क्यों बीजेपी का साथ छोड़ा ? बीजेपी सहित सरकार के लिए यह चिंतन और मनन का विषय है कि अकाली दल की केंद्र में मंत्री के द्वारा कृषि अध्यादेश के विरोध और किसानों के समर्थन में ही इस्तीफा दिया गया है । आंदोलनरत व्यापारियों ने साफ-साफ कहा कि बीजेपी सरकार के द्वारा लाया गया यह कृषि अध्यादेश बीजेपी और बीजेपी सरकार के लिए आत्मघाती साबित होगा। 

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