वंशवाद का विरोध करने वाली भाजपा ने हरियाणा में दिया राजनीतिक परिवारों को बढ़ावा अतीत में बंसीलाल और देवीलाल, ओमप्रकाश चौटाला व पोते दुष्यंत चौटाला से भाजपा ने किया था गठबंधन अशोक कुमार कौशिक कांग्रेस और विभिन्न क्षेत्रीय दलों पर वंशवाद की राजनीति करने का आरोप लगाने वाली बीजेपी ने हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए 67 उम्मीदवारों की जो पहली लिस्ट जारी की है, उसमें कई चेहरे विभिन्न राजनीतिक परिवारों से जुड़े हैं। हरियाणा में भाजपा ने लोकसभा चुनाव से सबक लेते विधानसभा चुनावों के लिए रणनीति बदली है। अभी तक पूर्व उप प्रधानमंत्री देवीलाल के परिवार को तरजीह देती आ रही पार्टी ने अब पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी भजन लाल, पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल और राव बीरेंद्र सिंह के परिवारों पर ज्यादा भरोसा दिखाया है। बुधवार को जारी लिस्ट के अनुसार बीजेपी ने कम से कम आठ वंशवादियों को टिकट दिया है। इनमें से अधिकतर की जड़ें कांग्रेस में हैं। पूर्व कांग्रेस नेता की पत्नी को भी मिला टिकट पूर्व कांग्रेस नेता विनोद शर्मा की पत्नी और राज्यसभा सांसद कार्तिकेय शर्मा की मां शक्ति रानी शर्मा को कालका सीट से मैदान में उतारा गया है। इसी तरह पूर्व विधायक करतार सिंह भड़ाना के बेटे मनमोहन भड़ाना को समालखा सीट से मैदान में उतारा गया है। सीनियर भड़ाना ने 1999 में राज्य में इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) सरकार के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जब हरियाणा विकास पार्टी से उनके विधायकों के समूह ने देवी लाल के बेटे ओम प्रकाश चौटाला का समर्थन किया था, जो आगे चलकर मुख्यमंत्री बने। 2012 में, करतार सिंह ने राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) के टिकट पर खतौली से उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव जीता था। हरियाणा के पूर्व सीएम भजन लाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई ने 2007 में कांग्रेस से बाहर होने के बाद हरियाणा जनहित पार्टी की स्थापना की थी। बाद में उन्होंने 2011 और 2014 के बीच बीजेपी के साथ गठबंधन किया और फिर 2016 में अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया। 2022 में वे बीजेपी में शामिल हो गए। पूर्व इनेलो विधायक हरिचंद मिड्ढा के बेटे कृष्ण मिड्ढा को फिर से जींद से मैदान में उतारा गया है। उन्होंने 2019 में भी जींद से जीत दर्ज की थी, तब पहली बार बीजेपी ने यह सीट जीती थी। सुनील सांगवान, जो पूर्व जेलर हैं और जिनके कार्यकाल में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम को कई बार पैरोल मिली थी, उन्हें चरखी दादरी से मैदान में उतारा गया है। वे पूर्व सांसद सतपाल सांगवान के बेटे हैं, जिन्होंने पिछले शुक्रवार को कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था। बीजेपी द्वारा मैदान में उतारे जाने वाले एक अन्य वंशवादी राव नरबीर सिंह हैं, जिन्हें बादशाहपुर सीट से टिकट दिया गया है। वे हरियाणा के पूर्व मंत्री राव महावीर सिंह यादव के बेटे और पंजाब के दिवंगत एमएलसी मोहर सिंह यादव के पोते हैं। राव बीरेंद्र, बंसीलाल और भजन लाल के परिवार पर भाजपा का भरोसा कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुई बंसी लाल की पुत्रवधू किरण चौधरी को राज्यसभा भेज चुकी पार्टी ने अब पूर्व सांसद श्रुति चौधरी को तोशाम विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया है। इसी तरह, स्वर्गीय भजन लाल के पौत्र भव्य बिश्नोई को न केवल आदमपुर और भतीजे दुड़ाराम बिश्नोई को फतेहाबाद से दोबारा चुनावी रण में उतारा है। कुलदीप बिश्नोई के नजदीकियों में शामिल रणधीर पनिहार को नलवा, मनमोहन भड़ाना को समालखा और रणबीर गंगवा को बरवाला से टिकट दिया है। राव बीरेंद्र सिंह की पोती और गुरुग्राम से सांसद राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती राव को अटेली से भाजपा की टिकट देकर रामपुरा हाउस के प्रति अपना समर्पण दिखाया है। इसे पूरा लगातार तीसरी बार लोकसभा चुनाव में राव इंद्रजीत सिंह को भाजपा का प्रत्याशी बनाया था जिसमें राव इंद्रजीत सिंह ने जीत दर्ज की थी। रणजीत चौटाला का कट गया टिकट इसके उलट, रानियां से दावेदार देवीलाल के पुत्र रणजीत चौटाला का टिकट काट दिया है। उधर, डबवाली में देवीलाल के पौत्र आदित्य पर संकट मंडरा रहा है। टिकट कटने के पूर्वाभास पर मार्केटिंग बोर्ड का चेयरमैन पद छोड़ आदित्य अब इनेलो के संपर्क में हैं। 2019 में भाजपा ने चौटाला परिवार की मदद से बनाई सरकार वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद बहुमत के जादुई आंकड़े से चूकी भाजपा की सरकार बनवाने में चौटाला परिवार ने अहम भूमिका निभाई थी। रानियां से निर्दलीय विधायक बने रणजीत सिंह चौटाला ने न केवल सबसे पहले अपना समर्थन भाजपा को दिया, बल्कि पांच अन्य निर्दलीय विधायकों को भी अपने साथ लाकर सरकार गठन का रास्ता साफ कर दिया। इसके अलावा दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी से गठबंधन में अहम भूमिका निभाई। भाजपा ने रणजीत चौटाला को कैबिनेट मंत्री तो बनाया ही, लोकसभा चुनाव में भी कुलदीप बिश्नोई की दावेदारी को दरकिनार कर उन्हें हिसार में प्रत्याशी बना दिया। नतीजे उम्मीद के अनुरूप नहीं आए। इसके बाद चौटाला परिवार के नुमाइंदों से भाजपा का भरोसा कम होता चला गया। 1996 में भाजपा ने किया था हरियाणा विकास पार्टी से समझौता 1996 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने हरियाणा विकास पार्टी के सिरमौर चौधरी बंसीलाल से समझौता किया था। गठबंधन के तहत उन्हें 11 सीट पर जीत मिली थी। बाद में चौधरी बंसीलाल के रवैया से नाखुश होकर मनोहर लाल खट्टर ने पंडित रामबिलास शर्मा के कंधे पर बंदूक रखकर 24 जुलाई 1999 को गठबंधन तोड़ दिया था। इसके बाद ओमप्रकाश चौटाला से गठबंधन पर सरकार बनाई थी जो 3 साल 74 दिन तक चली। 2000 के विधानसभा चुनाव में ओमप्रकाश चौटाला के साथ गठबंधन करके इनेलो भाजपा गठबंधन सरकार बनाई। जिसे अपना कार्यकाल पूरा किया। इससे पूर्व हरियाणा में 1987 के न्याय युद्ध के बाद देवीलाल के साथ मिलकर बनाई थी भाजपा ने सरकार गठबंधन सरकार बनाने में हरियाणा में पहला मामला था। 6 अप्रैल 1980 में भारतीय जनता पार्टी का उदय हुआ था। Post navigation प्रदेश में 10.87 करोड़ रुपये की अवैध 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