शिक्षण संस्था के आजीवन सदस्यों की बैठक में गंभीरता से की गई चर्चा

पटौदी क्षेत्र की एक 100 वर्ष से भी अधिक पुरानी एमएलए शिक्षण संस्था

अधिकांश आजीवन सदस्यों का मत सरकार को ओवरहैंंड किया जाए स्कूल

ट्रस्ट डीड के मुताबिक कथित रूप से सर्वाधिकार ट्रस्टी के पास सुरक्षित

फतह सिंह उजाला

पटौदी । पटौदी विधानसभा क्षेत्र की एक 100 वर्ष से अधिक पुरानी शिक्षण संस्था मुंशीलाल आनंद विद्यालय एवं औषधालय  ट्रस्ट के द्वारा संचालित एमएलए सीनियर सेकेंडरी स्कूल को सरकार के ओवरहैंड करने का मामला एक बार फिर से तूल पकड़ गया है । इस मामले में मुंशीलाल आनंद विद्यालय एवं औषधालय ट्रस्ट के आजीवन सदस्यों की महत्वपूर्ण बैठक स्कूल परिसर में ही संपन्न हुई । इस बैठक में अधिकांश सदस्यों ने अपने विचार व्यक्त करते हुए एमएलए स्कूल को सरकार के ओवरहेंड करने की बात कही। वही अनेक सदस्यों ने कहा कि कम से कम एकक वर्ष सकूल की प्रबंधन कमेटी स्कूल का संचालन करें। इसके उपरांत ही कोई फैसला किया जाना बेहतर रहेगा । इस महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता व्योवृद्ध शिक्षाविद पूर्व प्रिंसिपल मथन सिंह के द्वारा की गई ।

एमएलए स्कूल जाटोली को सरकार के ओवरहैंड करने के मुद्दे को लेकर आहूत बैठक में मुख्य रूप से प्रबंधन कमेटी के विजय पाल सिंह चौहान, आमिर सैनी, हेली मंडी व्यापार मंडल के अध्यक्ष रमेश गर्ग, भारतीय किसान संघ के प्रदेश अध्यक्ष मास्टर ओम सिंह चौहान, शिक्षण संस्थान से जुड़े रहे द्वारका प्रसाद रूस्तगी , सतपाल चौहान , अजय मंगला , अशोक सोनी , श्रीपाल चौहान , दयानंद , अशोक चौहान, हेली मंडी नगर पालिका के पूर्व चेयरमैन शिव कुमार गुप्ता, नरेश कुमार पिंटू , राज सिंह चौहान, महेंद्र सिंह चौहान, जनक सिंह चौहान , हेली मंडी नगर पालिका के पूर्व चेयरमैन जगदीश सिंह,  सहित अनेक सदस्य मौजूद रहे । यहां बैठक में बताया गया कि शिक्षण संस्थान के ट्रस्टी और ट्रस्ट के द्वारा आजीवन सदस्यों को सूचित किया गया है कि एमएलए शिक्षण संस्था को सरकार के ओवरहंेड किए जाने का फैसला आजीवन सदस्यों एवं प्रबंधन कमेटी को करने का पूरा अधिकार है । लेकिन कथित रूप से देखा जाए तो ट्रस्ट डीड के मुताबिक निर्णायक और अंतिम फैसला ट्रस्टी या फिर ट्रस्ट के सदस्यों को ही बहुमत से करने का अधिकार बताया गया है । ऐसे में ट्रस्टी और ट्रस्ट के सदस्यों के द्वारा एक तरह से स्कूल को सरकार के ओवर हैंड करने के मामले में अपने आप को पर्दे के पीछे रखते हुए घंटी संस्था के आजीवन सदस्यों और प्रबंधन कमेटी के सदस्यों के गले में बांध अपना पल्ला झाड़ दिखाया है ।

यहां बैठक में विभिन्न वक्ताओं के द्वारा अपने-अपने तर्क दिए गए । कमला नेहरू कॉलेज जटौली जोकि अतीत में समाज के द्वारा बनाया गया था , यह कॉलेज सरकार के ओवर हैंड किया जा चुका है। इसी प्रकार से कल्याण दास जैन के द्वारा बनाए गए अस्पताल को भी सरकार के और एंड किया जा चुका है, ऐसी और भी संस्थाएं हैं। वक्ताओं ने बताया कि जब संस्था के सर्वाधिकार रखने वाले ट्रस्टी और ट्रस्ट के सदस्यों के द्वारा संस्था के संचालन में आज तक किसी भी प्रकार का आर्थिक सहयोग नहीं किया गया तो ऐसे में ट्रस्टी -ट्रस्ट सदस्यों को ही संस्था से बेदखल कर देना चाहिए । वक्ताओं के द्वारा यह बात भी कही गई कि सरकार के ओवरहेड करने से पहले प्रबंधन कमेटी , मेजबान स्कूल के ऐसे छात्रों जो कि आज साधन संपन्न और उच्च पदों पर कार्य कर रहे हैं उनसे आर्थिक सहयोग लिया जाए।

वही यह प्रस्ताव भी रखा गया कि संस्था के सभी सदस्य यदि एक एक लाख संस्था को अनुदान प्रदान करें तो संस्था के सामने किसी भी प्रकार का आर्थिक संकट नहीं रहेगा । वही कुछ वक्ताओं ने साफ शब्दों में कहा कि जब से प्रबंधन कमेटी के चुनाव में ट्रस्टी और ट्रस्ट के सदस्यों के द्वारा दखल दिया गया है , उसके बाद से एमएलए शिक्षण संस्था के अस्तित्व पर संकट बढ़ता ही चला जा रहा है । आज इस स्कूल में केवल मात्र 70 विद्यार्थी ही शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं । वक्ताओं ने यह भी कहा कि मेजबान संस्था या फिर मुंशीलाल आनंद औषधालय एवं विद्यालय ट्रस्ट की सदस्यता को खोल कर और अधिक सदस्य बनाने के बाद आम सभा बुलाकर निर्णायक फैसला करना बेहतर रहेगा । इसी बैठक में कुछ लोगों के द्वारा तर्क दिया गया कि जिस स्थान पर स्कूल बना हुआ है, यह जमीन जाटोली के बाशिंदों के द्वारा प्रदान की गई थी और इसका उद्देश्य यही था कि जमीन पर निशुल्क शिक्षा के लिए स्कूल और औषधालय की स्थापना की जाए।  जिस पवित्र उद्देश्य -सकल्प को लेकर संस्था बनाई गई आज वह कार्य बिल्कुल भी यहां नहीं हो पा रहा है ।

करीब 2 घंटे तक बैठक में मौजूद संस्था के आजीवन सदस्यों के द्वारा अपने अपने तर्क और विचार रखने के उपरांत बैठक के अध्यक्ष वयोवृद्ध शिक्षा विद मास्टर मथन सिंह ने कहा कि सभी सदस्यों की बातें सुनने के बाद यह निष्कर्ष निकाला गया है कि एमएलए शिक्षण संस्थान जाटोली को हरियाणा सरकार सहित हरियाणा शिक्षा विभाग के अवर हैंड कर देना चाहिए । ऐसा किया जाना क्षेत्र के युवा वर्ग छात्रों सहित गरीब अभिभावकों के हित में भी रहेगा । लेकिन देखा जाए तो अभी तक इस प्रकार के मुद्दे को लेकर जब जब भी आजीवन सदस्यों की बैठक हुई है, उसमें शिक्षण संस्था पर नियंत्रण रखने वाले ट्रस्टी और ट्रस्ट के सदस्य एक बार भी शामिल नहीं हो सके हैं । इस बैठक में भी ट्रस्टी सहित ट्रस्ट के सदस्यों को आजीवन सदस्यों के द्वारा उनकी गैरमौजूदगी में खूब खरी-खोटी सुनाई गई । जानकारी के मुताबिक तकनीकी रूप से और ट्रस्ट डीड के मुताबिक कथित रूप से संस्था के लिए अंतिम और निर्णायक फैसला किया जाने का सर्वाधिकार ट्रस्टी और ट्रस्ट के सदस्यों के पास ही बताया गया है । इन हालात में यही लगता है कि ट्रस्टी और ट्रस्ट सदस्यों के द्वारा शिक्षण संस्था को सरकार के ओवरहेंड करने का मुद्दा उछाल कर मेजबान शिक्षण संस्था के आजीवन सदस्य के बीच ही मतभेद और मनभेद बढ़ाने का एक बार फिर से नया दांव खेला गया है।

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