वर्ष 2004 में इनेलो की टिकट पर धर्मदेव ने लड़ा था लोकसभा का चुनाव.

बीते कुछ समय से धर्मदेव के चुनाव लड़ने की अटकलों का बाजार था गरम

शनिवार को पहला आयोजन जिसमें केवल एक राजनीतिक दल की भागीदारी

धर्मदेव ने चुनाव से किया इनकार लेकिन बोले 2024 में बनाएं बीजेपी सरकार

फतह सिंह उजाला

गुरूग्राम। 13 अप्रैल शनिवार का दिन और उत्तर भारत की संस्कृत शिक्षा के लिए विख्यात शिक्षण संस्थान आश्रम हरी मंदिर संस्कृत महाविद्यालय का परिसर। यहीं पर मेजबान संस्था के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर धर्मदेव का 60 वां जन्मोत्सव धूमधाम के साथ मनाया गया ।

मंच पर अपने संबोधन में महामंडलेश्वर धर्मदेव ने संकल्पित शब्दों में कहा कि, मैं भविष्य में चुनाव नहीं लड़ूंगा। महाराज धर्मदेव के इस संबोधन को कथित रूप से बहुत हल्के में लिया गया या फिर मीडिया में तवज्जो ही नहीं दी गई । यहां महत्वपूर्ण बात यह है कि वर्ष 2004 में पूर्व सीएम इनेलो सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला के द्वारा महेंद्रगढ़ संसदीय क्षेत्र से महामंडलेश्वर धर्म देव को इनेलो का उम्मीदवार घोषित कर सक्रिय राजनीति में चुनाव लड़वाया गया। हालांकि उस समय भी ओमप्रकाश चौटाला के मंच पर मौजूद रहते धर्मदेव ने स्पष्ट रूप से कहा था कि मैं राजनीति को ठोकर पर रखता हूं और चुनाव नहीं लड़ूंगा।

फिर भी वर्ष 2004 के प्रमुख प्रतिद्वंदी मौजूदा भाजपा सांसद एवं केंद्र में मंत्री राव इंद्रजीत के मुकाबले महामंडलेश्वर धर्मदेव इनेलो की टिकट पर चुनाव लड़े और 115154 वोट लेकर चौथे स्थान पर रहे थे। इस बात में कोई शक नहीं है कि उस वक्त उन्होंने कहा था कि मैं सन्यासी हूं किसी से भी अपने लिए वोट नहीं मांगूंगा और यही उन्होंने अपने चुनाव प्रचार के दौरान किया। उस समय धर्मदेव के द्वारा जो प्रमुख मुद्दा उठाया गया, वह था विदेशी बैंकों में रखा भारतीय जन वापस लाया जाना चाहिए। यह बात अलग है कि अपने मुकाबिल राव इंद्रजीत के मुकाबले धर्मदेव लोकसभा का चुनाव हार चुके थे।

वर्ष 2021 में भी वही सस्था और उसी संस्था में ही मंच पर हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़, पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष जीएल शर्मा सहित सांसद और एमएलए सभी भारतीय जनता पार्टी के ही मौजूद थे । आश्रम हरी मंदिर संस्थान के एक 100 वर्ष के इतिहास में हुए अभी तक के सभी आयोजन में शायद शनिवार को पहला यह मौका था जब केवल मात्र सत्ता पक्ष भारतीय जनता पार्टी और सत्तासीन नेताओं को ही प्राथमिकता दी गई । इससे पहले जितने भी वार्षिक आयोजन या जन्मोत्सव सहित संस्था के आदि संस्थापक की याद में कोई भी आयोजन रहा हो, दलगत राजनीति से ऊपर उठकर विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं और पदाधिकारियों को आमंत्रित किया जाता रहा। यह आयोजकों पर निर्भर रहता है, कि क्या आयोजन है और आयोजन के महत्व को देखते हुए अतिथि के रूप में किन लोगों को प्राथमिकता प्रदान की जाए।

बहरहाल बीते कुछ समय से दक्षिणी हरियाणा और अहीरवाल क्षेत्र में जो भी राजनीतिक माहौल करवटें बदलता दिखाई दे रहा है । उसके बीच में यह बात धीरे-धीरे जड़ जमाते दिखाई दी कि आगामी लोकसभा चुनाव में गुरुग्राम से भारतीय जनता पार्टी के द्वारा महामंडलेश्वर धर्मदेव को उम्मीदवार घोषित किया जा सकता है । इसके पीछे भी एक बड़ा कारण है की जब से केंद्र से लेकर राज्य में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार बनी है , महामंडलेश्वर धर्मदेव महाराज विशेष रुप से चुनाव के दौरान भाजपा उम्मीदवारों के समर्थन में मंच साझा करते रहे हैं । शनिवार को भी महामंडलेश्वर धर्मदंेव ने जो भी कुछ संकल्प के साथ कहा उसे राजनीतिक गलियारों में भारतीय जनता पार्टी के लिए एक झटके के तौर पर देखा जा रहा है । बेशक से मंच पर अपने संबोधन में महामंडलेश्वर धर्म देव ने चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा करते हुए सक्रिय राजनीति से तौबा या फिर किनारा करने की बात कही हो। लेकिन उन्होंने इसी मंच से सभागार में मौजूद भीड़ सहित मंच पर मौजूद सीएम खट्टर, भाजपा के एमएलए ,सांसद और पदाधिकारियों की मौजूदगी में आह्वान किया कि मेरे मन का भाव है कि वर्ष 2024 में केंद्र में मोदी और हरियाणा में मनोहर की सरकार ही बने । उन्होंने सभागार में मौजूद भीड़ का आह्वान करते हुए वर्ष 2024 में केंद्र में मोदी और हरियाणा में मनोहर की सरकार बनाने का गिफ्ट अपने जन्मोत्सव के मौके पर देने का भी आह्वान किया।

केंद्र में पीएम मोदी के द्वारा पटौदी विधानसभा क्षेत्र के ही गांव जमालपुर के मूल निवासी और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री भूपेंद्र यादव को अपने मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री बनाने के साथ अहीरवाल में राजनीतिक माहौल में उबाल सा आ गया। वैसे भूपेंद्र यादव राजस्थान से भारतीय जनता पार्टी में अपना प्रतिनिधित्व प्रदान कर रहे हैं, लेकिन वह मूल रूप से यही के गांव जमालपुर के ही निवासी हैं । भूपेंद्र यादव के अभिनंदन में निकाली गई अलवर तक अभिनंदन यात्रा को अहीरवाल के ही क्षत्रप राव इंद्रजीत सिंह के समर्थक आसानी से बचा नहीं सके और भूपेंद्र यादव के सम्मान में आयोजन से दूरी भी बनाई रखी गई ।यह बात अलग है कि इसी अभिनंदन यात्रा के दौरान भूपेंद्र यादव ने राव इंद्रजीत सिंह के साथ रेवाड़ी में रामपुरा हाउस में डिनर भी लिया था ।

बात यहीं पर ही समाप्त नहीं हुई जब शहीदी दिवस समारोह का आयोजन भाजपा हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ के गृह क्षेत्र झज्जर के गांव पाटोदा में किया गया, तब पाटोदा में समारोह के मंच से राव इंद्रजीत ने कथित रूप से भाजपा हाईकमान को भी संदेश दे डाला कि मैं रिटायर होने वाला नहीं हूं। बेशक से 70 का हो गया , लेकिन 50 वर्ष के मुकाबले दौड़ लगाने की भी उनके द्वारा चुनौती परोस दी गई थी । इसी मंच से ही भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ की मौजूदगी में हरियाणा भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी की सदस्या और राव इंद्रजीत सिंह की पुत्री आरती राव के द्वारा डंके की चोट पर ऐलान किया गया कि मैं चुनाव अवश्य लडूंगी , यह समय तय करेगा कब और कहां से चुनाव लडूंगी ।

इन्हीं सब राजनीतिक प्रतिद्वंदिता को देखते हुए और भारतीय जनता पार्टी सहित भारतीय जनता पार्टी के नेताओं से नज़दीकियों को ध्यान में रखते हुए महामंडलेश्वर धर्मदेव के द्वारा आगामी लोकसभा चुनाव गुरुग्राम लोकसभा सीट से लड़ने की अटकलें तेज होती चली गई । बीते शनिवार 13 अप्रैल को संभवत पहला मौका था जब महामंडलेश्वर धर्मदेव के जन्मोत्सव समारोह में भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को छोड़कर अन्य किसी भी दल का कोई भी नेता या पदाधिकारी नहीं पहुंचा। जो कि इससे पहले तमाम प्रकार के आयोजन में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते रहे हैं । इस प्रकार से महसूस किया गया की शनिवार 13 अप्रैल को महामंडलेश्वर धर्म देव महाराज का जन्मोत्सव पूरी तरह से भारतीय जनता पार्टी के रंग और सत्ता सीन नेताओं के दायरे में ही सिमट कर रह गया। वैसे भी जब कभी वरिष्ठ और अनुभवी राजनेताओं से सवाल जवाब किए जाते हैं तो उनका यही जवाब होता है राजनीति में न तो कभी संभावना ही मरती हैं और नहीं भविष्यवाणी की जा सकती है । जिस प्रकार से शनिवार 13 अप्रैल को महामंडलेश्वर धर्मदेव के द्वारा आश्रम हरी मंदिर संस्कृत महाविद्यालय परिसर में समारोह के मंच से संकल्प किया गया कि मैं भविष्य में चुनाव नहीं नहीं लड़ूंगा । तो इसका जवाब भी भविष्य के गर्भ में ही समाहित है । समय का चक्र कब, कैसे और किस प्रकार से अपना खेल दिखाता है, इस बात को केवल जानने वाला विधाता है।

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