दलित संगठनों ने किया जोरदार प्रदर्शन, एडीजीपी वाई. पूरन कुमार को न्याय दिलाने की मांग — राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा

गुरुग्राम, 14 अक्टूबर 2025 – हरियाणा पुलिस के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी एवं एडीजीपी स्वर्गीय वाई. पूरन कुमार को आत्महत्या के लिए विवश करने वाले आरोपित अधिकारियों की गिरफ्तारी और उन पर कठोर कानूनी कार्रवाई की मांग को लेकर आज गुरुग्राम में विशाल धरना-प्रदर्शन किया गया।
श्री प्रेम मंदिर से आरंभ हुआ यह प्रदर्शन शहर की प्रमुख सड़कों से होता हुआ जिला उपायुक्त कार्यालय पहुंचा, जहां प्रदर्शनकारियों ने भारत के महामहिम राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन जिला उपायुक्त के माध्यम से सौंपा।

प्रदर्शन में गुरुग्राम की सभी अनुसूचित जाति, जनजाति, सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक संगठनों के प्रतिनिधि एवं सैकड़ों नागरिक शामिल हुए।
इस अवसर पर दलित नेता एवं सामाजिक कार्यकर्ता प्रताप सिंह कदम ने जानकारी देते हुए कहा कि — “देश की आज़ादी के 75 वर्ष बाद भी जातिगत भेदभाव की जड़ें प्रशासनिक ढांचे में गहराई से पैठी हुई हैं। स्वर्गीय वाई. पूरन कुमार जैसे वरिष्ठ अधिकारी को भी सामंती मानसिकता के उच्च अधिकारियों ने लंबे समय तक उत्पीड़न का शिकार बनाया। न्याय न मिलने और लगातार अपमान झेलने के कारण उन्हें आत्महत्या जैसा कदम उठाना पड़ा।”

उन्होंने आगे कहा कि 7 अक्टूबर 2025 को हुई इस दुखद घटना के बाद स्वर्गीय पूरन कुमार ने 8 पन्नों का सुस्पष्ट सुसाइड नोट छोड़ा, जिसमें उत्पीड़न करने वाले अधिकारियों के नाम और विस्तृत विवरण दर्ज हैं। बावजूद इसके चंडीगढ़ पुलिस प्रशासन ने अब तक एफआईआर दर्ज कर निष्पक्ष जांच शुरू नहीं की, जिससे यह साफ़ झलकता है कि सरकार के उच्च स्तर पर भी मनुवादी सोच हावी है।

प्रदर्शनकारियों ने यह भी कहा कि भारत के मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंकने की घटना अत्यंत निंदनीय थी, लेकिन उस आरोपी पर भी आज तक कोई सख्त कार्रवाई न होना शासन की निष्क्रियता को दर्शाता है।

इसी तरह 1 अक्टूबर 2025 को उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के गंदागंज थाना क्षेत्र में दलित युवक हरिओम वाल्मीकि की पुलिस हिरासत में बर्बरतापूर्वक हत्या कर दी गई।
उसे नंगा करके पीटा गया, गुप्तांग पर लोहे की रॉड से वार किया गया और उसकी मौके पर ही मौत हो गई।
अब तक उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा भी कोई ठोस कार्रवाई न किए जाने से दलित समाज में भारी आक्रोश है।

इन्हीं तीनों जातीय उत्पीड़न की घटनाओं—

  1. एडीजीपी वाई. पूरन कुमार की आत्महत्या,

  2. मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंकने के आरोपी पर कार्रवाई न होना, और

  3. रायबरेली में हरिओम वाल्मीकि की पुलिस हिरासत में हत्या
    को लेकर आज एकजुट होकर राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा गया, जिसमें दोषियों की तत्काल गिरफ्तारी और उच्च स्तरीय न्यायिक जांच की मांग की गई।

प्रदर्शन में शामिल प्रमुख हस्तियां

धरने में गुरुग्राम की लगभग सभी दलित, सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं के प्रतिनिधि मौजूद रहे। इनमें प्रमुख रूप से —
हुकम चंद पुनिया (सेवानिवृत्त IRTS), बलवान सिंह रंगा (पूर्व अध्यक्ष, डॉ. बी.आर. आंबेडकर सभा), रतन सिंह बडगुजर (प्रधान, सेक्टर-4), रण सिंह सामभरिया, जयभगवान बौद्ध (पूर्व महासचिव, भारतीय बौद्ध महासभा), जितेंद्र कुमार IRS (सेवानिवृत्त, राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर), पर्ल चौधरी, ऊषा सरोहा, कुलदीप ग्रोवर (सेवानिवृत्त ETO), राममेहर कटरिया, राजेंद्र कुमार (सेवानिवृत्त रेलवे अधिकारी), रतिराम (सेवानिवृत्त बैंक अधिकारी), भूप सिंह (सेवानिवृत्त एक्सियन), कैप्टन प्रेम सिंह, ओमप्रकाश कायत, अनिल धानक (प्रधान, कबीर सभा), डॉ. के. लाल, राजकुमार ढिकवाल, ज्ञानेश्वर कुमार (प्रधान, बाल्मीकि सभा), त्रिलोक चंद सारवान, कुलदीप कुमार, सुल्तान सिंह चांवरिया (पूर्व प्रधान), योगेंद्र सारवान (महापंचायत प्रधान), हरकेश कुमार बोहत, राजकुमार, चमन लाल सौदा, कैलाश दौलताबाद, युद्धवीर साहनी (संत गुरु रविदास सभा, जैकबपुरा), कृष्ण कुमार, सुरेंद्र कदम, पवन चौधरी, पंकज डावर, विजय सरपंच खटाना (बसपा), रविंद्र तंवर, अनिल तंवर, देवा प्रधान, रामे प्रधान, अधिवक्ता जल सिंह तंवर, अधिवक्ता रोहित मदान, मोहन खुरानिया, रोहित नोनीवाल, प्रदीप कुमार, युवा नेता गौरव टांक, सुनील कटरिया, वीना हंस, संजय सुखराली और अन्य सैकड़ों लोगों की भागीदारी रही।

निष्कर्ष

प्रदर्शनकारियों ने कहा कि अगर शीघ्र ही दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो आंदोलन को राज्यव्यापी स्वरूप दिया जाएगा।
सभा के अंत में डॉ. आंबेडकर के आदर्शों पर चलते हुए न्याय, समानता और मानवाधिकारों की रक्षा का संकल्प लिया गया।

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Author: Bharat Sarathi

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