लोकतंत्र का मजबूत हथियार आरटीआई को भाजपा सरकार ने कमजोर किया: राव नरेंद्र सिंह

लोकतांत्रिक हथियार है आरटीआई, भाजपा सरकार ने इसे कमजोर किया: राव नरेंद्र सिंह

-सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून लागू होने की 20वीं सालगिरह पर पत्रकार वार्ता में कही यह बात

गुरुग्राम। हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष राव नरेंद्र सिंह ने कहा कि कांग्रेस के शासन में लागू किया गया सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून को भाजपा की सरकार ने कमजोर करने का काम किया है। आरटीआई को लोकतंत्र का मजबूत हथियार बताते हुए उन्होंने कहा कि अपने फायदों के लिए इसमें भाजपा सरकार ने संशोधन किए हैं। आरटीआई के अलावा और भी कई कानूनों को कमजोर किया गया है। कांग्रेस की सरकार बनने पर सभी कानूनों को पहले की तरह मजबूत किया जाएगा, ताकि देश के आम नागरिक को इन कानूनों से सहूलियत हो।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रविवार को आरटीआई कानून की 20वीं सालगिरह पर यहां सिविल लाइन स्थित एक होटल में पत्रकार वार्ता में बोल रहे थे। इस दौरान प्रदेश अध्यक्ष राव नरेंद्र सिंह के साथ प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष जितेंद्र भारद्वाज, पूर्व मंत्री सुखबीर कटारिया, गुडग़ांव कांग्रेस जिला अध्यक्ष शहरी पंकज डावर, ग्रामीण अध्यक्ष वर्धन यादव, पटौदी से प्रत्याशी रहीं पर्ल चौधरी समेत कई कार्यकर्ता मौजूद रहे।

प्रदेश कांगे्रस अध्यक्ष राव नरेंद्र सिंह ने कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक है। इसी दिन यानी 12 अक्टूबर 2005 को यूपीए सरकार में प्रधानमंत्री तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम लागू करके देश को एक नई राह दिखाने का काम किया था। इस कानून के तहत किसी भी विभाग में किसी भी तरह की, किसी भी स्तर के व्यक्ति के बारे में देश का आम आदमी भी जानकारी हासिल कर सकता था। कांग्रेस राज में ही वर्ष 2005 में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (मनरेगा) अधिनियम लागू किया गया। वर्ष 2006 में वन अधिकार अधिनियम, वर्ष 2009 में शिक्षा का अधिकार अधिनियम, वर्ष 2013 में भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास व पुनस्र्थापन में उचित मुआवजा और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू किया गया। दुख की बात है कि वर्ष 2014 के बाद भाजपा सरकार बनीं तो एक के बाद एक कानून को कमजोर किया जाता रहा। संशोधन के नाम पर नए नियम इसमें तय कर दिए गए। यह एक तरह से देश की पारदर्शिता पर चोट करने जैसा था।

राव नरेंद्र सिंह ने कहा कि देश में सूचना आयुंक्तों के 11 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से मात्र 2 पद पर ही सूचना आयुक्त काम कर रहे हैं। सितंबर 2025 के बाद से तो मुख्य सूचना आयुक्त तक का पद खाली पड़ा है। उन्होंने कहा कि जून 2024 तक देश में 29 सूचना आयोग में 4 लाख 5 हजार अपील और शिकायतें लंबित थीं। जो 2019 की तुलना में दुगुनी थीं। उन्होंने आरटीआई कार्यकर्ताओं पर हुए हमलों पर भी चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि अवैध माइनिंग को उजागर करने वाली सहला मसूद की उसके घर के बाहर हत्या कर दी गई। और भी अनेक स्थानों पर आरटीआई कार्यकर्ताओं पर हमले हुए। आरटीआई कार्यकर्ता खतरे में हैं। उन्होंने कहा कि अवैध कार्यों को करने वालों की जानकारी देने के लिए कानून को 2014 के बाद लागू ही नहीं किया गया। अमेरिका, यूरोपीय संघ ने भी इस कानून को माना है।

राव नरेंद्र सिंह ने कहा कि आरटीआई वह कानून है जो देश के आम नागरिकों को संवैधानिक रूप से सशकत करता है। उन्होंने यह भी मांग की कि 2019 में निरस्त की गई सूचना आयुक्त की सदस्यता को बहाल किया जाए। केंद्र व राज्य सूचना आयोग में खाली पदों को भरा जाए। पत्रकारों, कार्यकर्ताओं, शिक्षाविदों को भी इसमें शामिल किया जाए। उन्होंने फिर दोहराया कि आरटीआई की कमजोरी लोकतंत्र की कमजोरी है। इस कानून को कांग्रेस सरकार में अच्छे के लिए बनाया गया था। संशोधन करके इसका स्वरूप ही बिगाड़ दिया गया।

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राव नरेंद्र सिंह ने अपनी नियुक्ति पर कहा कि 53 साल बाद दक्षिण हरियाणा को यह बड़ी जिम्मेदारी मिली है। हम सब मिलकर पार्टी को मजबूत करेंगे और जनता की आवाज बनेंगें। मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाएंगें। आईपीएस पूरन कुमार आत्महत्या के सवाल पर राव नरेंद्र सिंह ने कहा कि यह गंभीर और संवेदनशील मुद्दा है। इस पर राजनीतिक रूप से नहीं, बल्कि परिवार के साथ संवेदनशीलता से कांग्रेस जुड़ी है। उनके वाई पूरन कुमार से निजी संबंध थे। वे बेहद ही बहादुर अफसर थे। जिन हालातों में उन्होंने यह कदम उठाया, उस पर सरकार को जल्द से जल्द कार्रवाई करनी चाहिए। जो भी दोषी अधिकारी हैं, जिन पर आरोप लगाए गए हैं, उन पर सरकार जल्द एक्शन ले। अगर आईएएस, आईपीएस को न्याय मिलने में देरी हो रही है तो फिर आम आदमी को न्याय कैसे जल्द मिलेगा। देर से दिया गया न्याय सही नहीं कहा जा सकता। पूरी कांग्रेस पार्टी पीडि़त परिवार के साथ खड़ी है।

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Author: Bharat Sarathi

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