संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सुधार-भारत की स्थायी सदस्यता व वीटो शक्ति: विभाजन, समर्थन और बाधाएँ

संयुक्त राष्ट्र महासभा में विश्व समुदाय ने सुरक्षा परिषद सुधार की दिशा में एक नए विमर्श को आगे बढ़ाया।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता और वीटो शक्ति को शामिल करने से आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन,महामारी,क्षेत्रीय संघर्ष के समाधान में भारत महत्वपूर्ण रोल अदा कर सकता है

-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं 

गोंदिया-वैश्विक स्तरपर दुनियाँ में अनेकों विकास और परिवर्तन के बीच 29 सितंबर 2025 को समाप्त हुई संयुक्त राष्ट्र महासभा का सत्र एक ऐतिहासिक विमर्श का केंद्र बना। विश्व समुदाय ने इस बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में सुधार की दिशा में एक नए अध्याय को खोलने की पहल की। इस चर्चा का केंद्र भारत की स्थायी सदस्यता और वीटो शक्ति (निरस्त्रीकरण शक्ति) को शामिल करने का प्रस्ताव रहा। कई देशों ने इसका समर्थन किया, जबकि कुछ प्रमुख शक्तियों ने जोरदार विरोध जताया।

भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपना दृष्टिकोण दृढ़ता से रखा और यह स्पष्ट किया कि अगर भारत को यह अवसर दिया गया, तो वह आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन, महामारी, और क्षेत्रीय संघर्षों के समाधान में एक निर्णायक भूमिका निभा सकता है।

यूएनएससी की वर्तमान संरचना और सुधार की आवश्यकता

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की वर्तमान संरचना 1945 के यूएन चार्टर पर आधारित है, जिसमें पाँच स्थायी सदस्य (चीन, फ्रांस, रूस, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका) हैं, जिन्हें वीटो शक्ति प्राप्त है। दस अन्य सदस्य अस्थायी हैं और दो वर्ष के कार्यकाल के लिए चुने जाते हैं।

हालांकि यह व्यवस्था दशकों तक शांति और सुरक्षा की दिशा में प्रभावी रही, परन्तु समय के साथ इस पर असमता और अप्रासंगिकता के आरोप लगने लगे। यह संरचना 1945 की शक्ति-संतुलन वाली दुनिया को दर्शाती है, जबकि आज का विश्व बहुध्रुवीय और आर्थिक रूप से विविध हो चुका है। इसलिए, सुधार की माँग अब केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि एक वैश्विक प्रतिनिधित्व की अनिवार्यता बन चुकी है।

भारत को स्थायी सदस्यता देने के समर्थन में विश्व की आवाज़ें

(1) उभरती विश्व अर्थशक्ति का प्रतिनिधित्व

भारत आज विश्व की सबसे तेज़ी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। जी20, ब्रिक्स और आईएमएफ जैसे मंचों पर भारत की भूमिका लगातार बढ़ रही है। कई देशों ने माना है कि सुरक्षा परिषद का ढांचा पुराना हो चुका है। उदाहरणतः, भूटान के प्रधानमंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि भारत और जापान स्थायी सदस्यता के योग्य हैं।

(2) ब्रिक्स और साझी घोषणाएँ

ब्रिक्स देशों – ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका – ने संयुक्त रूप से यूएनएससी को अधिक प्रतिनिधि और समावेशी बनाने की बात कही। रूस ने विशेष रूप से 2025 के सत्र में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन किया।

(3) कार्यक्षमता और जवाबदेही में सुधार

कई देशों का मानना है कि नए सदस्यों के जुड़ने से परिषद के निर्णयों की वैधता और पारदर्शिता बढ़ेगी। कुछ प्रस्तावों में सुझाव दिया गया कि नए सदस्यों की वीटो शक्ति प्रारंभिक तौर पर स्थगित (Freeze) की जाए, जैसे जापान की G4 प्रस्तावना में 15 वर्षों के लिए वीटो अधिकार रोकने का सुझाव दिया गया।

(4) वैश्विक दक्षिण की आवाज़

भारत जैसे देशों की सदस्यता से विकासशील देशों की आवाज़ अंतरराष्ट्रीय निर्णय प्रक्रिया में और प्रभावशाली होगी। यह पश्चिमी प्रभुत्व को संतुलित करने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा।

विरोध के स्वर और उठी शंकाएँ

(1) स्थायी सदस्यों की अनिच्छा

वर्तमान पी5 सदस्य, विशेष रूप से चीन, भारत की स्थायी सदस्यता के विरोध में हैं। चीन का विरोध केवल राजनीतिक नहीं बल्कि क्षेत्रीय प्रतिस्पर्धा से प्रेरित है।

(2) वीटो शक्ति की संवेदनशीलता

कई देशों को डर है कि यदि नए सदस्यों को वीटो अधिकार मिल गया, तो निर्णय लेने की प्रक्रिया और जटिल हो जाएगी। इसलिए कुछ देशों का सुझाव है कि नए सदस्यों को सदस्यता मिले, परंतु वीटो अधिकार नहीं। भारत ने इस विचार को ठुकराते हुए कहा कि स्थायी सदस्यता बिना वीटो शक्ति के अधूरी है।

(3) संशोधन प्रक्रिया की जटिलता

यूएन चार्टर में सुधार के लिए महासभा में दो-तिहाई बहुमत (लगभग 128 देश) का समर्थन और सभी स्थायी सदस्यों की स्वीकृति आवश्यक है। किसी एक सदस्य के इंकार से पूरा प्रस्ताव रद्द हो सकता है।

(4) आंशिक समाधान का विरोध

भारत ने यह स्पष्ट किया है कि केवल “स्थायी सीट” बिना वीटो शक्ति के स्वीकार्य नहीं। वह पूर्ण समानता की वकालत करता है।

(5) चयन मानदंड पर विवाद

कुछ देशों ने धर्म, जीडीपी, सैन्य शक्ति आदि को मानदंड बनाने का सुझाव दिया है, पर भारत का मानना है कि प्रतिनिधित्व क्षेत्रीय और भौगोलिक संतुलन पर आधारित होना चाहिए, न कि धार्मिक या आर्थिक मानदंडों पर।

भारत की रणनीति और दृष्टिकोण

भारत ने अपनी दावेदारी को केवल महत्वाकांक्षा नहीं, बल्कि वैध अधिकार और वैश्विक आवश्यकता के रूप में प्रस्तुत किया है।

(1) स्वाभाविक दावेदारी

भारत की आर्थिक, राजनयिक और सैन्य क्षमता उसे स्थायी सदस्यता का स्वाभाविक दावेदार बनाती है। वह संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों में भी प्रमुख भूमिका निभाता रहा है।

(2) वीटो पहल प्रस्ताव

भारत ने 2022 में “वीटो इनिशिएटिव” रखा था, जिसके तहत किसी भी देश द्वारा वीटो शक्ति के उपयोग पर उसे महासभा में जाकर कारण बताना आवश्यक होगा। इससे जवाबदेही और पारदर्शिता बढ़ेगी।

(3) बहुपक्षीय समर्थन

भारत ने कई देशों से संवाद और गठजोड़ बढ़ाए हैं – रूस, भूटान, फ्रांस, ब्राज़ील जैसे देशों ने भारत के समर्थन में सार्वजनिक बयान दिए हैं। भारत का उद्देश्य है कि सुधार प्रस्ताव को वैश्विक बहुमत मिले।

मुख्य चुनौतियाँ और संभावित प्रभाव

(1) पी5 देशों का विरोध

यदि चीन जैसे सदस्य प्रस्ताव को अस्वीकार कर दें, तो पूरी सुधार प्रक्रिया रुक सकती है।

(2) निर्णय प्रक्रिया की जटिलता

अधिक वीटो धारक होने से निर्णय में देरी और गतिरोध की संभावना बढ़ सकती है।

(3) जवाबदेही और विश्वास का प्रश्न

नए वीटो धारक देशों से अपेक्षा होगी कि वे इसका उपयोग केवल अंतरराष्ट्रीय शांति और मानवता के हित में करें।

(4) समय की चुनौती

महासभा और राष्ट्रीय अनुमोदन की प्रक्रिया समयसाध्य है। इस दौरान वैश्विक संकट या युद्ध जैसे हालात प्रस्ताव को प्रभावित कर सकते हैं।

(5) चयन विवाद और ध्रुवीकरण-यदि सदस्यता के मानदंड स्पष्ट न हों, तो वैश्विक विभाजन और राजनीतिक ध्रुवीकरण का खतरा रहेगा।

अतःअगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि यूएनएससी में भारत की सदस्यता,वैश्विक बदलाव की दिशा मेंate कदम सटीक संयुक्त राष्ट्र महासभा की 29 सितंबर 2025 तक चली चर्चाओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि विश्व अब नए शक्ति-संतुलन की ओर बढ़ रहा है। भारत की स्थायी सदस्यता और वीटो शक्ति का प्रस्ताव केवल एक राष्ट्र की आकांक्षा नहीं, बल्कि एक न्यायसंगत वैश्विक व्यवस्था की मांग है।

भारत ने यह दिखाया है कि वह इस जिम्मेदारी को निभाने में सक्षम है और बहुध्रुवीय, लोकतांत्रिक और समावेशी विश्व व्यवस्था की दिशा में एक निर्णायक भूमिका निभा सकता है। यह प्रस्ताव न केवल भारत की प्रतिष्ठा को बढ़ाएगा, बल्कि विश्व के विकासशील देशों की आवाज़ को भी सशक्त करेगा।

-संकलनकर्ता एवं लेखक-कर विशेषज्ञ, स्तंभकार, साहित्यकार, अंतरराष्ट्रीय लेखक, चिंतक, कवि, संगीत माध्यमा, सीए (एटीसी)एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र

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Author: Bharat Sarathi

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