पंचकूला, 4 सितम्बर – पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के निर्देशों के अनुपालन में जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण (DLSA) पंचकूला की सचिव एवं मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी अपर्णा भारद्वाज द्वारा सेक्टर-15 स्थित शिशु गृह का हाल ही में निरीक्षण किया गया। निरीक्षण में चौंकाने वाली लापरवाहियां सामने आईं, जिनसे संस्थान में रह रहे शिशुओं की सुरक्षा और स्वास्थ्य पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े हो गए हैं।
निरीक्षण के दौरान पाया गया कि अधिकांश देखभाल करने वाले कर्मचारी बच्चों की देखभाल करने के बजाय अपने मोबाइल फोन में व्यस्त थे। यह न केवल गैर-पेशेवर रवैया था, बल्कि शिशुओं की जान के लिए भी सीधा खतरा बन गया।
सबसे चिंताजनक दृश्य एक शिशु का था, जिसने उल्टी कर दी थी और उसे बिना साफ किए ही पालने में छोड़ दिया गया था। उसी कमरे में मौजूद केयर-टेकर सुरिंदर अपने मोबाइल में व्यस्त थीं। एक अन्य शिशु के कपड़े पूरी तरह गीले पाए गए, फिर भी किसी ने ध्यान नहीं दिया।
इसके अलावा, अधोसंरचना की खामियां भी उजागर हुईं। रिसेप्शन और प्रभारी के कमरे की छतों से पानी टपक रहा था, जिससे गंदगी और अस्वास्थ्यकर माहौल बना हुआ था। संस्थान में लगे कई सीसीटीवी कैमरे लंबे समय से खराब पड़े हैं, बावजूद इसके कि मरम्मत के आदेश कई बार दिए जा चुके हैं।
सीजेएम अपर्णा भारद्वाज ने स्पष्ट किया कि यह पहली बार नहीं है जब ऐसी गंभीर लापरवाहियां सामने आई हैं। पहले भी 6 मई 2025 को डिप्टी कमिश्नर को इस संबंध में विस्तृत पत्र भेजा गया था, जिसके बाद कुछ सुधार हुए थे, लेकिन अब कर्मचारी फिर से पुरानी ढर्रे पर लौट आए हैं।
उन्होंने महिला एवं बाल विकास विभाग (WCD) को लिखित रूप से शिशुओं की स्थिति और कर्मचारियों की बार-बार की जा रही लापरवाही पर चिंता व्यक्त करते हुए कड़े कदम उठाने की सिफारिश की है। भारद्वाज ने कहा कि शिशुओं की सुरक्षा और उचित देखभाल सुनिश्चित करने के लिए अचानक निरीक्षण और दोषी स्टाफ पर सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई आवश्यक है।
डीएलएसए पंचकूला ने दोहराया कि वह बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा और संस्थानों को कानून, गरिमा और करुणा के साथ संचालित करने के लिए प्रतिबद्ध है।








