Category: विचार

खाली हाथ बजट ….. स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक क्षेत्रों में व्यापक सुधार की जरूरत।

2024 का अंतरिम बजट प्रशासनिक रवायत है क्योंकि पूर्ण बजट तो जुलाई में आएगा‚ जिस पर नई सरकार का रिपोर्ट कार्ड़ स्पष्ट नजर आएगा। व्यवसायों को फलने-फूलने के लिए एक…

परीक्षा जीवन-मृत्यु का प्रश्न नहीं …. कठिन प्रतिस्पर्धा के बीच जीवित रहने का संघर्ष करते बच्चे

ऐसे कठिन दौर में, आज छात्रों में आत्महत्या की प्रकृति और प्रवृत्ति का नए सिरे से अध्ययन करने की भी बहुत जरूरत है, क्योंकि देश की पूरी युवा बौद्धिक संपदा…

क्या  “विदेश में सपने देखने का पासपोर्ट”  नए क्षितिज खोज पायेगा?

उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकारों ने राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) की मदद से मुख्य रूप से निर्माण गतिविधियों के लिए इज़राइल जाने के लिए लगभग 10,000 श्रमिकों की भर्ती…

अयोध्या में श्री राम मंदिर का निर्माण तभी सार्थक होगा…..

जब हम “रामराज्य” के मूल आदर्शों को संरक्षित करें, अपने भीतर श्री राम को जागृत करें “रामराज्य” की अवधारणा हमेशा भारत के आम लोगों के साथ गूंजती रही है। “रामराज्य”…

अयोध्या का ‘नया अध्याय’: आस्था का संगीत, इतिहास का दर्पण

अयोध्या की पावन धरती पर, सरयू नदी के मधुर स्वर के साथ गुंजायमान श्री राम जन्मभूमि मंदिर की भव्यता आस्था का एक ऐसा महाकाव्य प्रस्तुत करती है, जिसके स्वर सदियों…

पुलिस पर विश्वास कम क्यों हो रहा है ? ……..

सरकार पुलिस सुधारों को लेकर गंभीर हो जाए तो पुलिस को एक मित्र के रूप में देखेंगे। यदि भारत के पुलिस बल की धारणा में सुधार करना है, तो औसत…

एनजीओ की गतिविधियों पर नजर समय की मांग …..

कोई एनजीओ, जिसके पास पैसे की कमी नहीं है, अपनी मनमर्जी काम करता रहेगा, चाहे वह कानून विरुद्ध ही क्यों न हो। लेकिन ऐसा करने के पहले, वह बड़ी संख्या…

लोककला के नाम पर अश्लीलता परोसना शर्मनाक …..

लोक गायकों के नाम पर अश्लील लिंक्स से सोशल मीडिया बाजार भरा पड़ा है। कई चैनलों पर भी इस तरह के गीतो का प्रचलन बहुत तेजी से बढ़ा है। गीत…

खेलों में राजनीति खेल और खिलाड़ी दोनों के लिए चिंताजनक ……..

खेल संघों पर राजनेता नहीं, खेल प्रतिभाओं को विराजमान करना चाहिए। इन संस्थाओं में पदाधिकारियों का कार्यकाल भी निश्चित होना चाहिए एवं एक टर्म से ज्यादा किसी को भी पद-भार…

आधुनिक समस्याओं से जूझता भारत कैसा विश्वगुरु ?

भारत आगे का रास्ता दिखा सकता है। यह दुनिया के सबसे मजबूत लोकतंत्रों में से एक है, लेकिन हमारे लोगों की भागीदारी मतदान तक ही सीमित है। भारत अपने संस्थानों…