जनप्रतिनिधियों की सदनों में लगातार अव्यवस्था का बढ़ना राष्ट्रीय चिंता का विषय है

लगातार कई संसद सत्रों के हंगामे की भेंट चढ़ने से जनता का विश्वास घटा- सत्ता पक्ष व विपक्ष दोनों को कार्यवाही की पवित्रता के प्रति सजग रहने की आवश्यकता है

-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं

भारत, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र माना जाता है, में संसद की कार्यवाही का महत्व अत्यधिक है। यह केवल विधायिका का हिस्सा नहीं, बल्कि लोकतंत्र के मूल्यों और उसके कार्यकलापों का प्रतीक है। लेकिन, हाल के समय में संसद सत्रों में लगातार हंगामे और अव्यवस्था के कारण जनता का विश्वास घटता जा रहा है। यह संसद का अपमान नहीं, बल्कि लोकतंत्र की पवित्रता का उल्लंघन है।

सदन की कार्यवाही में अव्यवस्था: एक चिंता का विषय

गोंदिया, महाराष्ट्र से एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी का कहना है कि संसद में लगातार हो रहे हंगामे और अव्यवस्था पर गहरी चिंता जताई जा रही है। हाल के वर्षों में शीतकालीन सत्र, मानसून सत्र, और बजट सत्र में आए दिन विपक्ष और सत्तापक्ष के बीच तू-तू मैं-मैं की स्थिति बनी रही है। यह स्थिति किसी एक दल की नहीं, बल्कि दोनों पक्षों की जिम्मेदारी बनती है। संसद में लाइव टेलीकास्ट के बावजूद जनप्रतिनिधि इस हकीकत से अनजान नहीं हो सकते कि उनका व्यवहार और कार्यवाही का तरीका जनता की नजरों में आता है।

31 जनवरी 2025 से शुरू होने वाला बजट सत्र: हंगामे का संकेत

31 जनवरी 2025 से शुरू हुआ बजट सत्र, जो 4 अप्रैल तक चलेगा, को लेकर भी हंगामे की आशंका जताई जा रही है। पिछले दिनों हुई सर्वदलीय बैठक में विपक्षी दलों ने कई मुद्दों पर सरकार को घेरने की योजना बनाई है। इसमें महाकुंभ भगदड़, वक्फ बिल, एक राष्ट्र एक चुनाव जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे शामिल हैं। विपक्ष की तरफ से इस सत्र में सरकार पर तीखे हमले होने की संभावना है, खासकर राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान।

विपक्षी दलों की नाराजगी और विवादास्पद विधेयक

विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकार संसदीय समितियों का राजनीतिकरण कर रही है और अपने बहुमत का गलत फायदा उठा रही है। खासकर वक्फ संशोधन विधेयक और एक राष्ट्र, एक चुनाव विधेयक जैसे मुद्दों पर विपक्ष के तेवर तीव्र हैं। विपक्ष का मानना है कि इन विधेयकों से संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन हो सकता है और सरकार के कदम संविधान और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के खिलाफ हैं।

विधेयकों की सूची और सरकार का एजेंडा

2025 के बजट सत्र में कई महत्वपूर्ण विधेयक पेश किए जा सकते हैं, जिनमें बैंकिंग (संशोधन) विधेयक, रेलवे (संशोधन) विधेयक, वक्फ (संशोधन) विधेयक और समुद्र द्वारा माल परिवहन विधेयक जैसे प्रमुख विधेयक शामिल हैं। यह विधेयक न केवल देश की आर्थ‍िक स्थिति को प्रभावित करेंगे, बल्कि जनता के हितों के लिए भी महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।

निष्कर्ष: सदन की कार्यवाही की पवित्रता की आवश्यकता

कुल मिलाकर, संसद के सत्रों में हंगामे और अव्यवस्था के बढ़ते मामले देश के लोकतंत्र के लिए चिंता का विषय हैं। जनप्रतिनिधियों को चाहिए कि वे अपने कर्तव्यों के प्रति अधिक सजग रहें और कार्यवाही की पवित्रता बनाए रखें। संसद का हंगामेदार माहौल लोकतंत्र के मंदिर को कलंकित करने जैसा है। यह जरूरी है कि संसद में सुधार लाए जाएं, ताकि लोकतंत्र की मजबूती बनी रहे और जनता का विश्वास बहाल हो सके।

-संकलनकर्ता लेखक: क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र

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