नगर परिषद, नगर पालिकाओं के चुनावों की घोषणा: न चुनाव आचार संहिता लागू , न ही चुनाव शैडयूल जारी : विद्रोही

हरियाणा बजट 2022 में प्रदेश में वर्ष 2004 के बाद नियुक्त हुए सभी सरकारी कर्मचारियों की पुरानी पैंशन व्यवस्था फिर से बहाल करके प्रदेश के लगभग 3 लाख कर्मचारियों को राहत दे मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर : विद्रोही

24 फरवरी 2022 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने हरियाणा भाजपा सरकार से आग्रह किया कि वे भी अपने पडौसी राज्य राजस्थान की कांग्रेस सरकार की तर्ज पर वर्ष 2004 के बाद नियुक्त सभी सरकारी कर्मचारियों की पैंशन बजट मेें बहाल करने की घोषणा करके सरकारी कर्मचारियों की जायज मांग को माने। विद्रोही ने कहा कि बुधवार को राजस्थान विधानसभा में बजट 2022 में प्रस्तुत करते हुए कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वर्ष 2004 के बाद नियुक्त हुए सभी सरकारी कर्मचारियों की पैंशन फिर से लागू करने के ऐतिहासिक फैसले का ऐलान करके देशभर के राज्यों को फिर से कर्मचारियों की पैंशन बहाल करने का रास्ता खोला है। केन्द्र की अटल बिहारी वाजपेयी की भाजपा-एनडीए सरकार ने वर्ष 2004 के बाद नियुक्त हुए कर्मचारियों की पैंशन व्यवस्था खत्म करने की अपने राज में जो व्यवस्था की थी, उसका तब से लेकर अब तक विगत 18 सालों से कर्मचारी विरोध करते करकेे पुरानी पैंशन व्यवस्था बहाली की मांग करते आ रहे है। अब राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने पुरानी पैंशन व्यवस्था फिर से लागू करने की घोषणा करके हरियाणा सहित सभी राज्य सरकारों को कर्मचारियों की पुरानी पैंशन व्यवस्था बहाल करने का रास्ता दिखाया है।

विद्रोही ने मुख्यमंत्री ने मनोहरलाल खट्टर से मांग की कि वे भी राजस्थान कांग्रेस सरकार का अनुसरण करते हुए मार्च में प्रस्तुत होने वाले हरियाणा बजट 2022 में प्रदेश में वर्ष 2004 के बाद नियुक्त हुए सभी सरकारी कर्मचारियों की पुरानी पैंशन व्यवस्था फिर से बहाल करके प्रदेश के लगभग 3 लाख कर्मचारियों को राहत दे। 

वहीं विद्रोही ने कहा कि हरियाणा भाजपा सरकार ने कांग्रेस व जनता के दबाव में शहरी क्षेत्रों में मकान बनाने पर कलैक्टर रेट का 5 प्रतिशत विकास शुल्क वसूलने का अपना जनविरोधी फरमान बेशक वापिस ले लिया है, पर इसके पीछे भाजपा सरकार की नेक नीयत नही अपितु हरियाणा चुनाव आयोग द्वारा अप्रैल के अंतिम सप्ताह में 48 नगर परिषदों व नगरपालिकाओं के घोषित चुनावों में शहरी मतदाताओं की वोट हडपने की चाल है। नगर निकाय चुनाव में मतदाता का वोट हडपकर खट्टर सरकार फिर यह विकास शुल्क नही ठोकेगी, इसकी क्या गारंटी है? ऐसी स्थिति में शहरी मतदाताओं को अप्रैल के अंतिम सप्ताह में होने वाले नगर निकाय चुनावों में वोट की चोट से भाजपा की ऐसी कमर तोडनी होगी कि वे दोबारा ऐसा भारी भरकम विकास शुल्क ठोकने की सपने में भी न सोच सके।

विद्रोही ने कहा कि हरियाणा राज्य चुनाव आयोग ने बिना निश्चित तारीख के 48 नगर परिषद, नगर पालिकाओं के चुनावों की घोषणा तो कर दी, पर न तो आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू की और न ही चुनाव शैडयूल जारी किया। ऐसा करके हरियाणा चुनाव आयुक्त भूल गए कि प्रदेश में लोकतंत्र व संविधान का राज है न कि पोपाबाई का राज है। 

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