-कमलेश भारतीय

नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया गांधी और राहुल गांधी की पेशी थी । सोनिया गांधी तो कोरोना की लपेट में होने के कारण पेश नहीं हुईं जबकि राहुल गांधी पेश हुए । इस पेशी को कांग्रेस ने विरोध करने के लिए प्रदर्शन करने का कार्यक्रम घोषित कर रखा था जिसे सत्याग्रह बताया गया । प्रदर्शन किये गये और सत्याग्रह भी हुआ । इस दौरान राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत , नवनिर्वाचित राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला , हरीश रावत और जयराम रमेश जैसे नेता हिरासत में लिए गये । हरियाणा में दीपेंद्र हुड्डा को तो ऑफिस तक न जाने दिया गया । ऐसा भी क्या प्रदर्शन से डरना या प्रदर्शन को दबाना ? प्रदर्शन अधिकार है विपक्ष का । प्रदर्शन और विरोध विपक्ष का हथियार है । क्या इसे दबाना उचित है ? यह सवाल भी उठता है ।

दूसरी ओर भाजपा नेता अनिल विज कह रहे हैं कि महात्मा गांधी ने सत्याग्रह किया लेकिन किसी भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए नहीं । भाजपा की स्मृति ईरानी भी कह रही हैं कि कांग्रेस गांधी परिवार के 2000 करोड़ रुपये बचाने के लिए और ईडी पर दबाब बनाने सड़क पर उतरी है । वैसे चर्चा है कि एक बार यह केस फाइल कर दिया गया था लेकिन कांग्रेस नेतृत्व को परेशान करने के लिए फिर से खोल लिया गया है ।इसीलिए ईडी को पालतू तोते की तरह पेश कर प्रदर्शन किया गया -साक्षात तोते के साथ । प्रदर्शन के दौरान चिदम्बरम् की पसली की हड्डी टूटने की खबर भी है । प्रदर्शन पर इस तरह का व्यवहार क्यों ? प्रदर्शन करते अशोक गहलोत ने कहा कि अखबार को कर्ज देना गलत क्यों माना जा रहा है ? रणदीप सुरजेवाला का आरोप है कि मोदी सरकार की तरह देश की सम्पत्ति तो नहीं बेची ।

सोशल मीडिया पर यह प्रसंग भी वायरल हो रहा है इसी संदर्भ में । पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को जब पता चला कि अटल बिहारी वाजपेयी को विदेश में इलाज की जरूरत है तब उन्होंने एक प्रतिनिधिमंडल का नेता बना कर विदेश भेजा और इलाज भी करवाने का प्रबंध किया । जब वापस आये तब यही सोनिया गांधी बार बार उनका स्वास्थ्य पूछने जाती थी यह बात खुद वाजपेयी ने राजीव गांधी की हत्या के बाद भावुक होकर बताई थी क्योंकि राजीव ने रह वादा भी लाया था कि किसी को बतायेंगे नहीं ।लेकिन प्रधानमंत्री ने कोरोना की लपेट में आईं सोनिया गांधी को ईडी के सम्मन भेज दिये । यह कैसी इंसानियत ? यह कुछ दिन बाद भी हो सकता था । लोग सोशल मीडिया पर इस प्रसंग को बार बार वायरल कर पूछ रहे हैं यही सवाल कि आखिर राजनीति एक तरफ और इंसानियत दूसरी तरफ क्यों नहीं ?

अब कांग्रेस का यह प्रदर्शन क्या रंग लायेगा ? राबर्ट बाड्रा भी आगे आये और बताया कि कितनी पेशियों में जाना पड़ा । क्या अब ईडी इतनी पालतू हो गयी कि निर्वाचन आयोग को भी पीछे छोड़ दिया ?
-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।

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