
12 अगस्त 2019, स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड सीबीएसई द्वारा अनुसूचित जाति, जनजाति के छात्रों का बोर्ड परीक्षा शुल्क 24 गुणा 50 रूपये से 1200 रूपये करने की कठोर आलोचना करते हुए इसे मोदी सरकार-दो का गरीबों के लिए अवांछनीय तोहफा बताया।
विद्रोही ने कहा कि एक ओर मोदी जी सबका साथ, सबका विकास व सबके विश्वास का जुमला उछालते है, परन्तु दलितों, आदिवासियों, पिछडों, शोषितों व वंिचतों पर अनाश्यक आर्थिक बोझ लादने का कोई भी मौका नही चूकते है। अब केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अर्थात सीबीएसई ने दलित व आदिवासी छात्रों की 10वीें व 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा फीस 50 रूपये से बढ़ाकर 1200 रूपये कर दी है। एक मुश्त 24 गुणा परीक्षा शुल्क बढ़ाना अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों के साथ अन्याय है।
विद्रोही ने आरोप लगाया कि संघी मनुवादी एजेंडे को आगे बढ़ा रही मोदी-भाजपा सरकार नही चाहती है कि अनुसूचित जाति व जनजातियों के छात्र ज्यादा शिक्षित होकर हर क्षेत्र में सभी की बराबरी करके समाज, सरकार का नेतृत्व कर सके। कहां तो कांग्रेस राज में इन वर्गो की शिक्षा के लिए विशेष कदम उठाये जाते थे, विशेष सुविधाएं दी जाती रही है और अब मोदी सरकार उनकी सुविधाओं को छीनकर अप्रत्यक्ष रूप से उनकी शिक्षा प्राप्त करने में आर्थिक रोड़ अटका रही है। विद्रोही ने सरकार से मांग की कि अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों के लिए 10वीं व 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा के लिए बढ़ाया 24 गुणा शुल्क तत्काल वापिस लिया जाये ताकि इन गरीब तबके के छात्रों पर व्यर्थ का आर्थिक बोझ शिक्षा प्राप्त करने के मार्ग में रोड़ न बन सके।