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नहर की फाइल भेजने में सरकार ने जिस तरह तत्परता दिखाई उसी तरह स्थायी रोड के लिए भी दिखानी चाहिए : ओ.पी. कोहली

– अस्थायी रोड की तरह नहर को भी बंद करके दिखाए सरकार –
सरकार के प्रति और मुखर हुए ग्रामीण, कहा जहाज से पहले सडक़ जरूरी, केवल 50 एकड़ जमीन से ग्रामीणों को मिल जाएगा स्थायी सडक़ मार्ग : ओ.पी. कोहली
– धरने पर ग्रामीणों का उत्साह और बढ़ा, जब तक रोड नहीं मिल जाता पीछे नहीं हटेंगे, धरने के लिए घर-घर से चंदा दे रहे लोग, तन-मन-धन से धरने को साथ कोई कमी नहीं रहने देंगे –

हिसार 21 मार्च : आज तलवंडी राणा बाईपास पर दिए जा रहे धरने को संबोधित करते हुए प्रधान एडवोकेट ओ.पी. कोहली ने कहा कि सरकार ने जिस तरह से नहर के लिए जमीन देकर 8 कि.मी. की जमीन देने में तत्परता दिखाई है और उसकी फाइल भी चला दी है। उससे भी अधिक और उससे पहले सरकार को ग्रामीणों के लिए स्थायी सडक़ देने के लिए तत्परता दिखानी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि हम सरकार से कोई भीख नहीं मांग रहे बल्कि ग्रामीणों का हक स्थायी सडक़ मांग रहे हैं। नहर के लिए सरकार को 8 कि.मी. एरिया की जगह अधिग्रहित करनी पड़ी जबकि हमारे स्थायी सडक़ मार्ग के लिए मात्र 50 एकड़ भूमि अधिग्रहित करने की जरूरत है यदि सरकार चाहे तो तुरंत प्रभाव से दे सकती है लेकिन सरकार ग्रामीणों के धैर्य की परीक्षा ले रही है। कोहली ने बताया कि ग्रामीणों ने भी ठान लिया है कि स्थायी सडक़ मार्ग लिए बिना हम पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने बताया कि विधानसभा सत्र के दौरान अनेक विधायक भी हमारा मुद्दा उठा रहे हैं।

मंगलवार को धरने का 43वां दिन था। ओ.पी. कोहली ने बताया कि तलवंडी राणा बाईपास पर दिए जा रहे धरने पर ग्रामीणों का उत्साह व जोश व एकजुटता और अधिक बढ़ती जा रही है। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार सोच रही है जैसे-जैसे समय बीतेगा ग्रामीण कमजोर पड़ जाएंगे लेकिन जब तक हमें रोड नहीं मिल जाता न ही धरने से हिलेंगे और न ही पीछे हटेंगे। ग्रामीणों ने अपने स्तर गौत्र वाइज, प्रति एकड़, प्रति दुकान, प्रति फैक्टरी-स्कूल, प्रति मकान के हिसाब से चंदा एकत्रित कर रहे हैं और चंदे की कमी नहीं रहने देंगे धरना व धरने पर लगातार लंगर चलता रहेगा जब तक रोड नहीं बनेगी हम यहां से नहीं उठेंगे। रोड बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष एडवोकेट ओ.पी. कोहली ने बताया कि धरने को 43 दिन हो चुके हैं लेकिन ग्रामीणों का जोश बरकरार है।

ओ.पी. कोहली ने बताया कि सरकार द्वारा एयरपोर्ट के लिए 10 हजार एकड़ जमीन अधिग्रहित की गई है। अब एयरपोर्ट के साथ लगने वाली राणा माइनर को भी घुमाकर लगभग 8-10 किलोमीटर की नई नहर बनाई जा रही है उसके लिए सरकार जमीन एक्वायर कर रही है और बिजली के बड़े खंबों के लिए सरकार जमीन अधिग्रहण करने जा रही है। कोहली ने कहा कि सरकार कर सबसे पहला काम ग्रामीणों के लिए स्थायी सडक़ मार्ग बनाकर देने का था क्योंकि स्थायी सडक़ मार्ग के लिए मात्र 50 एकड़ जमीन अधिग्रहित करने की जरूरत है और उससे ही ग्रामीणों को हमेशा के लिए सडक़ मार्ग मिल जाएगा। हिसार एयरपोर्ट से अभी कोई जहाज नहीं उड़ रहे। सरकार एयरपोर्ट के रास्ते में आने वाली नहर के रुख को बदल रही है, बिजली के खंबों को बदल रही है लेकिन उसे सबसे पहले ग्रामीणों के लिए सडक़ मार्ग बनानी चाहिए क्योंकि यहां से जहाज तो जब उड़ेंगे तब उड़ेंगे लेकिन ग्रामीणों का जीवन तो अस्थायी सडक़ मार्ग बंद हो जाने से अभी से बेहाल हो चुका है। इसलिए सरकार को ग्रामीणों की मुश्किलों को समझते हुए तुरंत स्थायी सडक़ मार्ग के लिए 50 एकड़ जमीन अधिग्रहित करके ग्रामीणों को रोड दे देना चाहिए।

कोहली ने कहा कि सरकार इसमें चाहे कितनी देरी कर ले लेकिन ग्रामीण अपना रास्ता लिए बगैर पीछे नहीं हटेंगे। अब गांव के बच्चे-बच्चे में इस हिसार-बरवाला रोड को बचाने की भावना जागृत हो चुकी है और धरने पर भारी संख्या में पहुंचकर युवा, बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं, पुरुष सभी तन-मन-धन से अपना पूर्ण सहयोग दे रहे हैं। अब यह एक धरना न रहकर जन आंदोलन बन चुका है। धरने पर लगातार राजनीतिक, सामाजिक, खाप, पंचायतों आदि का समर्थन मिलना जारी है। तलवंडी राणा व आस-पास के दर्जनों गांवों के ग्रामीण अपने स्तर पर बीड़ा उठा चुके हैं कि चाहे धरना कितने लंबे समय चले इसके लिए धन की किसी प्रकार से कमी नहीं रहने दी जाएगी। इसके लिए लोगों द्वारा स्वेच्छा से घर-घर से चंदा उगाही की जा रही है। ग्रामीणों ने ठान लिया है कि हर हाल में स्थायी सडक़ लेकर रहेंगे।

धरने पर मुख्य रूप से कामरेड नरसी, निहाल सिंह पूर्व सरपंच, धर्मपाल पूर्व सरपंच, दयाल सिंह सरपंच, हरीश चंद्र राजली मजदूर किसान यूनियन, संदीप सिवाच अध्यक्ष विकलांग यूनियन, दिलबाग हुड्डा किसान यूनियन प्रदेश अध्यक्ष, दलबीर किरमारा, मनोज राठी आम आदमी पार्टी प्रवक्ता, भूपेन्द्र गंगवा, प्रदीप नेहरा, मोहित खटाणा, सतबीर पूनिया भाकियू नेता, राजू, ऋषि राम, धर्मपाल सैन, डॉ. रविन्द्र सैन, रोशन लाल, सतबीर सैन, कुलदीप रावत, लट्टू भाटिया, मांगेराम, रामस्वरूप, महाबीर बटार, रामस्वरूप वाल्मीकि, उग्रसैन चौपड़ा, केलापति, राजबाला, अंजू देवी, संजू देवी भाटिया, तुलसीराज रहेजा, लखमीराम सहित सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे।

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