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क्या मानसून की तैयारी कर रहा शासन-प्रशासन या मानसून में फिर बदहाल होगा गुरुग्राम

भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। गुरुग्राम हरियाणा में सबसे अधिक राजस्व देने वाला जिला है लेकिन बरसात के मौसम में शहर का हाल बदहाल हो जाता है। लोगों का दूभर हो जाता है। बीमारियां पैर पसार लेती हैं और यह विगत अनेक वर्षों से चला आ रहा है। प्रश्न यही है कि जिस गुरुग्राम के सहारे सरकार चल रही है, विदेशों में भी गुरुग्राम के नाम से हरियाणा की पहचान बनती है, उस गुरुग्राम का ऐसा हाल क्यों?

आज 25 मई हो गई। आमतौर से 27-28 जून को मानसून का आगमन माना जाता है। इस वर्ष सुनने में आ रहा है कि दो-चार दिन की देरी भी हो सकती है। माना देरी हो भी गई, फिर भी 35-40 दिन का ही समय बचा है। और जैसा कि जानकारी में आ रहा है कि शासन-प्रशासन इस बार भी अन्य वर्षों की तरह लापरवाह है।

नगर की जिम्मेदारी विधायक पर होती है। हमारे विधायक अब इस पर कितना ध्यान दे रहे हैं, इस बात का अनुमान इससे ही लगाया जा सकता है कि गत वर्ष मानसून से पूर्व सैक्टर-4 और लक्ष्मण विहार से होते हुए एक नाले के निर्माण का उद्घाटन किया था, जिससे यहां का पानी निकल सके किंतु अफसोस की बात है कि अगला वर्ष आ गया तो भी वह नाला उसी अवस्था में दिखाई दे रहा है। 

इसी प्रकार कई कारणों से सडक़ की खुदाई करनी पड़ती है। गुरुग्राम में जगह-जगह सडक़ें खुदी पड़ी हैं। उससे आप सोच सकते हो कि बरसात में क्या हाल हो सकता है। 

हमारा नगर निगम स्वच्छता में बार-बार दावे करता है कि हम प्रथम आएंगे लेकिन स्थिति यह है कि जगह-जगह कूड़े के खत्ते नजर आ जाएंगे। उसके पीछे लोगों की चर्चा से कारण यह ज्ञात हुआ कि सफाई की कंपनी इकोग्रीन का सामंजस्य अन्य लोगों से बैठ नहीं पाता है। इस वजह से जगह-जगह कूड़े के अंबार नजर आ जाते हैं।

और मजेदारी देखिए, प्रशासन तो इस पर ध्यान दे नहीं रहा लेकिन साथ ही भाजपा के पर्यावरण सचिव भी गुरुग्राम में निवास करते हैं। बड़े-बड़े दावे करते हैं लेकिन उन्होंने कभी इस समस्या पर आवाज नहीं उठाई लोगों का कहना है कि शायद इकोग्रीन के दबाव में आकर।

निगम की बात करूं तो अभी चंद रोज पहले कुछ नालों और सीवर की सफाई की स्वीकृति दी गई है और जानकारी में यह है कि अनेक नाले और सीवर के लिए अभी टेंडर भी नहीं छोड़े गए हैं। तो क्या इतने अल्प समय में टेंडर छोडक़र सफाई हो जाएगी? चर्चाकारों के अनुसार आमतौर पर ऐसा होता है कि अंतिम समय में टेंडर छोड़े जाते हैं, फिर बरसात आती है और पहली बरसात में गुरुग्राम जलमग्न हो जाता है, जिससे सीवर में पानी बहुत दबाव से जाने लगता है और उससे सीवर काफी कुछ साफ हो जाते हैं। अर्थात इस तरह ठेकेदार का काम प्रकृति द्वारा हो जाता है। पहली बरसात में जो नगरवासी परेशान होते हैं, उसका शायद इनको संज्ञान लेने का ध्यान ही नहीं है।

जून का माह में सरकार और भाजपा ने मोदी जी के नौ वर्ष के कार्यकाल के पूरे होने पर उनकी उपलब्धियां बताने के कार्यक्रम निर्धारित किए हुए हैं। तात्पर्य यह कि सत्ता पक्ष के सभी लोग अपने नंबर बनाने के लिए पूरा ध्यान उसी पर लगाएंगे और जनता शायद रामभरोसे ही रहे। भगवान इनको सद्बुद्धि दे।

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